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परमेश्वर के प्रति खुले रहें

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भजन संहिता 51:6,7 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा। 7 जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा।

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परमेश्वर के प्रति खुले रहें


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जब हम गलत रास्ते पर चलते हैं, जब हम जानते हैं कि हमने जो किया है वह गलत है, तो हम सहज रूप से परमेश्वर से भागना और छिपना चाहते हैं। अजीब बात है ना? फिर भी हम बिल्कुल यही करने का प्रयास करते हैं।

ये आपका और मेरा, दोनों का अनुभव रहा है। यह हम सब की सहज प्रतिक्रिया रही है और इसलिए हम जानते हैं कि गलतियों को छिपाना और फिर, यह उम्मीद करना कि परमेश्वर उस पर ध्यान नहीं देंगे, केवल हमें बुरे से और अधिक बुराई की ओर ले जाता है।

पुराने ज़माने में, राजा दाऊद ने दूसरे आदमी की पत्नी को चुरा लिया और फिर उसकी हत्या करवा दी। इस्राएल के राजा ने एक ही झटके में व्यभिचार और हत्या, दोनों कर दी। उसने इसे छुपाने की कोशिश की, और यह दिखाने की कोशिश की, कि उसके पति की मृत्यु युद्ध में हुई (जो सच है, लेकिन केवल इसलिए क्योंकि दाऊद ने ऐसा होने की व्यवस्था की थी)।

फिर भी, अपने महान प्रेम के कारण, परमेश्वर ने भविष्यवक्ता नातान के माध्यम से दाऊद से बात की। तब राज्य दाऊद को अपनी गलती का एहसास हुआ। और भजन 51 उसकी पश्चाताप की प्रार्थना है; उनके बीच सब कुछ ठीक करने के लिए ईश्वर से की गई उस की प्रार्थना।

भजन संहिता 51:6,7 देख, तू हृदय की सच्चाई से प्रसन्न होता है; और मेरे मन ही में ज्ञान सिखाएगा। जूफा से मुझे शुद्ध कर, तो मैं पवित्र हो जाऊंगा; मुझे धो, और मैं हिम से भी अधिक श्वेत बनूंगा।

यहीं, दाऊद परमेश्वर को अपने हृदय में आमंत्रित करता है। वह परमेश्वर को चीजों को सही करने के लिए, परमेश्वर की सच्चाई को अपने भीतर वापस लाने के लिए आमंत्रित करता है ताकि वह अपने होश में आ सके। वह परमेश्वर से उसे ज्ञान सिखाने , उसे अनुशासित करने, उसे शुद्ध करने के लिए प्रार्थना करता है।

जब हम पाप करते हैं, तो हम स्वयं चीजों को ठीक नहीं कर सकते। केवल परमेश्वर ही ऐसा कर सकते हैं। आप अपने मन को उसकी बुद्धिमत्ता, उसके अनुशासन और उसकी क्षमा के प्रति खोलें। अपने आप को रोकिए मत । परमेश्वर अपनी कृपा से, आपके जीवन कि गलत चीजों को सही कर सकता है।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके … लिए..।