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परमेश्वर को स्वीकार्य बलिदान

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भजन 51:17 टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता॥

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परमेश्वर को स्वीकार्य बलिदान


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जब आप किसी व्यक्ति को सड़क पर फूलों का गुलदस्ता लेकर जाते हुए देखते हैं, तो क्या आप सोचते हैं कि उसने फूल क्यों खरीदे? किसी के प्रति प्रेम प्रकट करने के लिए, किसी विशेष अवसर के लिए…या पश्चाताप व्यक्त करने के लिए?

ज़रा सोचें: पति-पत्नी बहस करते हैं। पति को एहसास होता है कि उसने पत्नी का दिल दुखाया है, इसलिए वह काम के बाद उसके लिए कुछ फूल खरीदकर लाता है ताकि उस चोट की भरपाई हो सके। ऐसा हजारों बार होता है। और फूल उद्योग को संभवतः इससे हर साल अरबों की कमाई होती है।

जब आप इसके बारे में सोचते हैं तो यह एक अजीब सा अनुष्ठान है, लेकिन यह ईश्वर-प्रेरित विचार से उत्पन्न होता है कि किसी गलत को सही करने के लिए बलिदान की आवश्यकता होती है। यदि आप चाहें तो यह उस परम बलिदान का एक उदाहरण है जो यीशु ने हमारे लिए दिया, हमारे पापों का भुगतान करने के लिए, हमारे पापों को सदा के लिए मिटा देने  के लिए, हमें ईश्वर के साथ सही करने के लिए।

इसलिए जब आप ईश्वर के प्रति कुछ गलत करते हैं और फिर से क्षमा मांगने के लिए उसके पास जाते हैं (जैसा कि राजा दाऊद ने व्यभिचार और हत्या करने के बाद किया था) तो आप किस पश्चाताप, कौन से बलिदान के बारे में सोचते हैं, जिसे आपको देने की आवश्यकता है उस गलत को सही बनाने के लिए?

दाऊद को उत्तर पता था क्योंकि उसने ईश्वर से क्षमा और उनके रिश्ते की बहाली के लिए प्रार्थना की थी।

भजन 51:17 टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, तू टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता॥

नहीं, परमेश्वर यह नहीं चाहता है कि आप चढ़ावे में एक मुट्ठी अतिरिक्त नकदी डालें – फूलों का आलौकिक गुलदस्ता लाएं – या भिक्षु बन जाएं । यह बलिदान उससे कहीं अधिक गहरा है।

टूटा मन परमेश्वर के योग्य बलिदान है; हे परमेश्वर, वह टूटे और पिसे हुए मन को तुच्छ नहीं जानता॥

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके  लिए..।