शांति का नुस्खा (1)
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कुलुस्सियों 3:12,13 इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। 13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
जीवन में बहुत सी चीजें आपकी शांति छीन सकती हैं। लेकिन इस सूची में सबसे ऊपर हमारे रिश्ते हैं। वो मुश्किल लोग, उनके साथ संघर्ष। एक तीखा शब्द या एक तिरछी नज़र भी आपकी शांति को एक पल में चकनाचूर कर सकती है।
आपको पता है कि यह कैसे होता है। आप एक अच्छा दिन बिताने, शांति और प्रभु के आनंद में रहने के सभी बेहतरीन इरादों के साथ बिस्तर से उठते हैं। लेकिन आप जो पहला ईमेल पढ़ते हैं, जिस पहले व्यक्ति से आप बात करते हैं… बस ! वह सारी शांति और आनंद सीधे खिड़की से बाहर चला जाता है।
इनका इतना साहस? मैं सम्मान का पात्र हूं. मैं उन्हें दिखाऊंगा!
तो आप उस शांति में बने रहने के लिए क्या करते हैं जिसकी परमेश्वर ने आपके दिन के लिए योजना बनाई है? क्योंकि मैं आपको बता दूं, वह चाहता है कि आप उसमें रहें, उसकी शांति का अनुभव करें। यह उसकी महान योजनाओं में से एक है।
कुलुस्सियों 3:12,13 इसलिये परमेश्वर के चुने हुओं की नाईं जो पवित्र और प्रिय हैं, बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो। 13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
देखा जाए, तो यह उन कठिन लोगों के प्रति हमारी प्रतिक्रिया है जो हमारी शांति छीन लेती है। मैं बेहतर का हकदार हूं! लेकिन क्या होगा अगर हम उन शांति छीनने वालों के प्रति एक अलग रवैया अपना लें?
बड़ी करूणा, और भलाई, और दीनता, और नम्रता, और सहनशीलता धारण करो।
आख़िर परमेश्वर ने आप पर कितनी दया की है? और उसने आपको कितनी बार माफ किया है?
13 और यदि किसी को किसी पर दोष देने को कोई कारण हो, तो एक दूसरे की सह लो, और एक दूसरे के अपराध क्षमा करो: जैसे प्रभु ने तुम्हारे अपराध क्षमा किए, वैसे ही तुम भी करो।
दया, करुणा , नम्रता, सहनशीलता, क्षमा…अर्थात शांति।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…