शीर्षक: परमेश्वर के प्रेम का अंतिम लक्ष्य
We're glad you like it!
Enjoying the content? You can save this to your favorites by logging in to your account.
1 यूहन्ना 4:10-12 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उस ने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। 1 हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। 12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है।
अगर आप इजाज़त दें, तो मैं चाहूँगा कि आप, तो अपने जीवन में आपको सबसे अधिक परेशान करने वाले व्यक्ति का चेहरा अपनी आँखों से सामने लाएं। इसे वहीं रोककर रखें। अब उनके साथ हुई पिछली कुछ बातचीत के बारे में सोचें। उनके बारे में सोचकर आपको कैसा महसूस होता है?
मैंने आपसे इस मुश्किल व्यक्ति को याद करने के लिए इसलिए कहा क्यूंकी अपूर्ण लोगों से प्यार करना आसान नहीं है। यहाँ तक कि विवाह में भी – जो सभी मानवीय रिश्तों में सबसे अंतरंग और महत्वपूर्ण है – पति और पत्नी की खामियाँ एक-दूसरे पर हावी हो जाती हैं।
और फिर भी, हालाँकि हम जानते हैं कि यह मुश्किल हो सकता है, हम ये भी जानते हैं कि प्यार अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण है। हम सभी प्यार चाहते हैं और चाहते हैं कि कोई हमें प्यार करे। । लेकिन क्यों? प्यार का उद्देश्य क्या है? प्यार का अंतिम लक्ष्य क्या है? जब परमेश्वर इस अपूर्ण मानवता के पास आता है, तो, वह क्या हासिल करने की कोशिश कर रहा है?
1 यूहन्ना 4:10-12 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्वर ने प्रेम किया; पर इस में है, कि उस ने हम से प्रेम किया; और हमारे पापों के प्रायश्चित्त के लिये अपने पुत्र को भेजा। 1 हे प्रियो, जब परमेश्वर ने हम से ऐसा प्रेम किया, तो हम को भी आपस में प्रेम रखना चाहिए। 12 परमेश्वर को कभी किसी ने नहीं देखा; यदि हम आपस में प्रेम रखें, तो परमेश्वर हम में बना रहता है; और उसका प्रेम हम में सिद्ध हो गया है
ईश्वर के प्रेम का उद्देश्य है, कि हम इसे प्राप्त करें, इसके माध्यम से क्षमा किए जाएँ, इसका अनुभव करें; ताकि हम जान सकें कि वह हमसे कितना प्रेम करता है। लेकिन क्या आपने धन दिया कि यहाँ एक दूसरा उद्देश्य भी है?
अगर हम एक दूसरे से प्रेम करते हैं, तो ईश्वर का प्रेम अपने अंतिम लक्ष्य पर पहुँच गया है – यह हमारे अंदर परिपूर्ण हो गया है।
ईश्वर से प्रेम करें। दूसरों से प्रेम करें।
यही उनका ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए … ।