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एक ईश्वरीय कायापलट

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रोमियों 12:1,2 इसलिये हे भाइयो, मैं तुम से परमेश्‍वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूँ कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्‍वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ। यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। अत: हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्यों न हो, तू निरुत्तर है; क्योंकि जिस बात में तू दूसरे पर दोष लगाता है उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष

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एक ईश्वरीय कायापलट


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दुनिया में एक प्यार करने वाले एक ऐसे परमेश्वर की छवि है, वो भी अगर आप उसमे विश्वास करते हैं, कि  वह लोगों को वैसे ही स्वीकार करता है जैसे वे हैं। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, आप की सोच क्या है, आप क्या करते हैं, या आप क्या मानते हैं। बस सब कुछ ठीक है।

जैसा कि मैंने कहा, यह “ईश्वर” के प्रति सांसारिक दृष्टिकोण है और यह वह दृष्टिकोण है जो मसिहियों को समकालीन धर्मनिरपेक्ष मानसिकता के लिए कुछ भी स्वीकार है , जैसे ढांचे में ढालने का प्रयास करने के लिए उपयोग किया जाता है।

यहां स्कॉटिश धर्मशास्त्री Sinclair B Ferguson कुछ ऐसी प्रतिक्रिया देते हैं:

यहकहनाभ्रामकहैकिईश्वरहमेंवैसेहीस्वीकारकरताहैजैसेहमहैं।इसकेबजाय,जैसेहमहैंवहइसकेबावजूदहमेंस्वीकारकरताहै।वहहमेंकेवलमसीहमेंऔरमसीहकेलिएग्रहणकरताहै।नहीउसकामतलबहमेंउसीतरहछोड़नाहैजैसेउसनेहमेंपाया, बल्किहमेंअपनेबेटेकीसमानतामेंबदलनेकेलिएहै।

यही सत्य है जो सुसमाचार का केंद्रबिन्दु है। हमारा पाप हमारे और परमेश्वर के बीच की बाधा है जो तब दूर हो जाती है जब हम यीशु में अपना विश्वास रखते हैं जिसने उस कीमत का भुगतान करने के लिए अपने प्राण दिए जो परमेश्वर का न्याय हमारे पाप के लिए मांग करता है। और वह फिर जी उठा, हमें एक नया जीवन देने के लिए। 

रोमियों 12:1,2 इसलिये हे भाइयो, मैं तुम से परमेश्‍वर की दया स्मरण दिला कर विनती करता हूँ कि अपने शरीरों को जीवित, और पवित्र, और परमेश्‍वर को भावता हुआ बलिदान करके चढ़ाओ। यही तुम्हारी आत्मिक सेवा है। अत: हे दोष लगानेवाले, तू कोई क्यों न हो, तू निरुत्तर है; क्योंकि जिस बात में तू

दूसरे पर दोष लगाता है उसी बात में अपने आप को भी दोषी ठहराता है, इसलिये कि तू जो दोष लगाता है स्वयं ही वह काम करता है।

हमारी क्या प्रतिक्रिया होती है? ताकि हम परमेश्वर के रूप में ढाले जायें, हम में बदलाव हो, सचमुच परमेश्वर के स्वरूप में रूपांतरित हों , न कि संसार के तौर-तरीकों में।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।