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यीशु किसकी सेवा करता है?

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यूहन्ना 6:38-40 क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूं। और मेरे भेजने वाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उस ने मुझे दिया है, उस में से मैं कुछ न खोऊं परन्तु उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊं। क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और

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यीशु किसकी सेवा करता है?


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यदि केवल परमेश्वर वही करेगा जो हम चाहते हैं कि वह करे। यदि यीशु इस एक समस्या को ठीक कर दे या हमे आशीष देता रहे तो कैसा हो  !! क्या आपने कभी ऐसा सोचा है?

ईमानदारी से, मैंने अपने शुरुआती विश्वास का अधिकांश समय यह विश्वास करते हुए बिताया कि मैं बहुत खास हू ; कि पर्मेश्वर मेरी सभी समस्याओं को दूर करने के लिए अपनी जादू की छड़ी घुमायेगा ; और  वह मुझ पर अनकही दौलत और आशीर्वाद बरसाएगा ।

क्यों? क्योंकि इस दुनिया में हमें बस यही सिखाया गया है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि चीजें बिल्कुल वैसी नहीं हुईं!

और ठीक है, जब  मैं अपनी आध्यात्मिक स्तिथि में  काफी  क्च्चा था । लेकिन यह सच है , क्योंकि हम सभी में अभी भी एक स्वार्थी विश्वास पर वापस लौटने की प्रवृत्ति है। आखिर वह हमारे लिए इस दुनिया में आया था, क्योहै ना?

हाँ ठीक है, लेकिन अपनी शर्तों पर, हमारी शर्तों पर नहीं:

यूहन्ना 6:38-40 क्योंकि मैं अपनी इच्छा नहीं, वरन अपने भेजने वाले की इच्छा पूरी करने के लिये स्वर्ग से उतरा हूं। 39 और मेरे भेजने वाले की इच्छा यह है कि जो कुछ उस ने मुझे दिया है, उस में से मैं कुछ न खोऊं परन्तु उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊं। 40 क्योंकि मेरे पिता की इच्छा यह है, कि जो कोई पुत्र को देखे, और उस पर विश्वास करे, वह अनन्त जीवन पाए; और मैं उसे अंतिम दिन फिर जिला उठाऊंगा।

जिस झूठ पर हम विश्वास करना चाहते हैं, वह यह है कि यीशु हमारी सेवा करने आया था, हमारी शर्तों पर। लेकिन यह सच नहीं है। वह अपने पिता की इच्छा पूरी करने आया था – हमें बचाने के लिए, हमें अनन्त जीवन देने के लिए। यह एक दर्दनाक प्रक्रिया हो सकती है, लेकिन इसका परिणाम हमें इस दुनिया की समझ  से खराब करने से कहीं ज्यादा बेहतर है।

यह परमेश्वर का ताजा वचन है। आज…आपके लिए..।