बाधाओं पर काबू पाना
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रोमियों 8:35-37 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार? 36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
मुझे पूरा यकीन है कि हम सभी इस सिद्धांत से सहमत हैं: कि यदि सकारात्मक रूप से सामना किया जाए, तो पीड़ा हमारे चरित्र को मज़बूत बनाने में एक शक्तिशाली शक्ति बन सकतीं हैं। लेकिन जब हमारी व्यक्तिगत पीड़ा की बात आती है, तो सिद्धांत और व्यवहार एक-दूसरे से दूर चले जाते हैं। ।
सिद्धांत के साथ समस्या यह है कि यह तर्कसंगत है। यह आपके दिमाग में रहता है, जबकि पीड़ा आपकी भावनाओं, आपके दिल पर हमला करती है। यही कारण है कि हम अपने कष्टों के बीच, जिसे हम विश्वास के द्वारा सत्य मानते हैं, उसे लागू करने के लिए संघर्ष करते हैं।
जीवन में कई बार हमें बाधाओं पर काबू पाना पड़ता है – हमारी आत्मा के भीतरी गहरे घाव और बाहर से होने वाले हमले का हमें सामना करना पड़ता है। ।
क्या आपने देखा है कि काबू पाने की इस प्रक्रिया के दौरान आप कितना अकेला महसूस करते हैं? आपके मन में संदेह घर कर जाता है, दूसरे समझ नहीं पाते कि आप के भीतर क्या चल रहा है और आप स्वयं को शक्तिहीन महसूस करते हैं।
आप क्या कहेंगे अगर मैं आप से कहूँ कि ठीक ऐसे ही समय में परमेश्वर, आपको एक अद्भुत अनुभव के बीच से ले जा सकते हैं।
रोमियों 8:35-37 कौन हम को मसीह के प्रेम से अलग करेगा? क्या क्लेश, या संकट, या उपद्रव, या अकाल, या नंगाई, या जोखिम, या तलवार?
36 जैसा लिखा है, कि तेरे लिये हम दिन भर घात किए जाते हैं; हम वध होने वाली भेंडों की नाईं गिने गए हैं।
37 परन्तु इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं।
ये शब्द लिखते समय प्रेरित पौलुस अकल्पनीय पीड़ा का अनुभव कर रहा था,और उसका जीवन लगातार खतरे में था। क्या आप और मैं, उसकी स्थिति में ऐसा लिखने की कल्पना कर सकते हैं? लेकिन उसने ऐसा किया, क्योंकि यहीं पर उसने अनुभव किया कि कुछ भी – कोई भी – उसे मसीह के प्रेम से अलग नहीं कर सकता है। उसने अपने स्वयं के अनुभव से पाया कि … इन सब बातों में हम उसके द्वारा जिस ने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं। यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।