अदबुद शांति।
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जॉन 14:27 मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता : तुम्हारा मन व्याकुल न हो और न डरे।
कभी-कभी जीवन ऐसा महसूस होता है कि मानो आप एक वॉशिंग मशीन और फिर एक कपड़े सुखाने की मशीन में से गोल गोल घूम रहें हैं, जब तक कि आप में से सारा जीवन निचुड़ नहीं निकल जाता।
एक आलोचना जो नास्तिकतावाद मसीही धर्म पर करता है, वह यह है कि यह हारे हुए लोगों के लिए है; जैसे कमजोरों के लिए एक बैसाखी। लेकिन जीवन में ऐसा महसूस करने के लिए आपको हारे हुए होने की ज़रूरत नहीं है; या लोगों और परिस्थितियों द्वारा आपकी शारीरिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक ऊर्जा को खत्म करने के लिए आपका कमजोर होना भी जरूरी नहीं है। ऐसा बहुत से मजबूत, बुद्धिमान, और अच्छे लोगों के साथ भी होता है।
और इस उथल-पुथल के बीच, हमें जिस चीज की सख्त जरूरत है वह है शांति; हम इस व्याकुलता के बीच शांति के लिए तरसते हैं।
समस्या यह है कि इस कठिन समय में, अक्सर वे बातें जो हमारा भला चाहने वाले लोग कहते या करतें हैं, किसी भी तरह से ऐसा प्रतीत नहीं होता कि जिस उथल-पुथल का अनुभव हम कर रहे हैं, उसकी गहराई तक पहुँचने की शक्ति रखतीं हैं, या उस ज्वार भाटे को शांत कर सकती हैं। या कोई भी शांति जो दुनिया देती है, वो क्षण भर की होती है। शायद आप भी ऐसी परिस्थिति से निकाल चुके हैं, है ना?
यही कारण है कि – परमेश्वर पुत्र यीशु, जिसने आपके लिए दुःख सहा और मारा गया – आज संकट में आप से यह कहता है:
जॉन 14:27 मैं तुम्हें शान्ति दिए जाता हूँ, अपनी शान्ति तुम्हें देता हूँ; जैसे संसार देता है, मैं तुम्हें नहीं देता : तुम्हारा मन व्याकुल न हो और न डरे।
और जब यीशु अपनी शांति आपके हृदय में उंडेलते हैं, तो यह परमेश्वर की शक्ति से भरपूर होती है। मेरी बात पर ध्यान दें। यीशु आपके अतीत में शांति, आपके वर्तमान में उद्देश्य और भविष्य में आशा ला सकता है। केवल यीशु।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए…।