अनुग्रह की दौड़
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प्रेरितों के काम 10:22-24 और अब देखो, मैं आत्मा में बन्धा हुआ यरूशलेम को जाता हूं, और नहीं जानता, कि वहां मुझ पर क्या क्या बीतेगा केवल यह कि पवित्र आत्मा हर नगर में गवाही दे देकर मुझ से कहता है, कि बन्धन और क्लेश तेरे लिये तैयार हैं।24 परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूं, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवाकाई को पूरी करूं, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है।
आपने शायद यह कहते हुए सुना होगा कि जब चलना कठिन हो जाता है, तो कठिन स्वयं चलता है। बढ़िया कहावत। महान सिद्धांत। लेकिन ईमानदारी से । जब चलना मुश्किल हो जाता है, तो अक्सर हम रुक जाते हैं।
और विशेष रूप से, जब काम कठिन हो जाता है, तो हम अक्सर गलत काम करने के लिए ललचाते हैं। उसके लिए एक कारण है। बाइबल हमें बताती है कि शैतान गरजते हुए सिंह की नाईं इधर उधर घूम रहा है, और बाट जोह रहा है कि किस को फाड़ खाए (1 पतरस 5:8)।
वह हमेशा इंतजार करता है जब हम सबसे कमजोर स्थिति में होते हैं तो , उसी बिंदु पर, वह हम पर हमला करता है ! उस समय जीवन की तृप्ति अपराध बोध में बदल जाती है। तो आप क्या करते हैं?
प्रेरितों के काम 10:22-24 और अब देखो, मैं आत्मा में बन्धा हुआ यरूशलेम को जाता हूं, और नहीं जानता, कि वहां मुझ पर क्या क्या बीतेगा केवल यह कि पवित्र आत्मा हर नगर में गवाही दे देकर मुझ से कहता है, कि बन्धन और क्लेश तेरे लिये तैयार हैं।24 परन्तु मैं अपने प्राण को कुछ नहीं समझता: कि उसे प्रिय जानूं, वरन यह कि मैं अपनी दौड़ को, और उस सेवाकाई को पूरी करूं, जो मैं ने परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार पर गवाही देने के लिये प्रभु यीशु से पाई है।
प्रेरित पौलुस जिसने इसे लिखा था, उसने सबसे पहले यह स्वीकार किया कि परमेश्वर ने उसे जिस कठिन जीवन के लिए बुलाया था, उसके बीच उसने बहुत सारी गलतियाँ कीं। लेकिन शायद किसी भी अन्य बाइबिल के लेखक, से अधिक पौलुस यह जानता था कि जिस पर उसने भरोसा किया, उस परमेश्वर का अनुगह उसके लिए काफी है और यह वही अनुग्रह है जिसे वह दुनिया में प्रचार करने के लिए वह प्रेरित किया गया , भले ही अंत मे उसे अपने जीवन की कीमत ही क्यों न चुकानी पड़े।
हम में से प्रत्येक के पास यह विकल्प है। अपराध बोध या अनुग्रह की दौड़।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। ताजाआज …आपके लिए…