अपनी संगति पर ध्यान दें।
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2 कुरिन्थियों 6:14,15 आप लोग अविश्वासियों के साथ बेमेल जूए में मत जुतें। धार्मिकता का अधर्म से क्या नाता? ज्योति का अन्धकार से क्या सम्बन्ध? 15मसीह की शैतान से क्या संगति? विश्वासी की अविश्वासी से क्या सहभागिता?
परमेश्वर में हमारा विश्वास, हर रोज़ बढ़ने और घटने के लिए नहीं है। जी नहीं, परमेश्वर की योजना हमारे विश्वास को बढ़ाना है। हमारे जीवन में सभी उतार-चढ़ावों के माध्यम से, हमारी भलाई और उसकी महिमा के लिए इसे मजबूत करना है।
कल हमने अपने एक श्रोता के अनुरोध पर आपके विश्वास को मजबूत करने के लिए एक लघु-श्रृंखला शुरू की जो हर दिन ताज़ा कार्यक्रम को सुनते हैं। कल, हमने दो विश्वास-अवरोधकों के बारे में बात की – एक, अतीत का हमारा बोझ जो हमें धीमा कर देता है, और दूसरा पाप, जो हमें ठोकर खिलाता है।
आज हम एक तीसरे विश्वास-अवरोधक पर एक नज़र डालने जा रहे हैं – वह संगति जिसे हम रखते हैं।
2 कुरिन्थियों 6:14,15 आप लोग अविश्वासियों के साथ बेमेल जूए में मत जुतें। धार्मिकता का अधर्म से क्या नाता? ज्योति का अन्धकार से क्या सम्बन्ध? 15मसीह की शैतान से क्या संगति? विश्वासी की अविश्वासी से क्या सहभागिता?
बेशक, हम हमेशा ऐसे लोगों से घिरे रहेंगे जो यीशु पर विश्वास नहीं करते हैं। और ऐसा होना भी चाहिए। ताकि हम उनके जीवन में यीशु के प्रेम का प्रकाश चमका सकें। लेकिन यहाँ ध्यान दें कि कैसे परमेश्वर उन रिश्तों की ओर इशारा करता है, जब वह कहता है … अविश्वासियों के साथ बेमेल जूए में मत जुतें, या जैसा कि एक और अनुवाद कहता है, असमानजूएमेंनबंधे।
यहाँ पर परमेश्वर का कहना है कि रिश्ते जितने गहरे बनते जाते हैं, उतना ही अधिक वे लोग, जो यीशु में विश्वास नहीं करते, यहाँ तक कि जो लोग यीशु के खिलाफ सक्रिय रूप से अपना जीवन जीते हैं, हमें प्रभावित करने लगते हैं, और तब उतनी ही अधिक हमारी अच्छाई उनकी बुराई में बदलती जाती है।
परमेश्वर में अपना विश्वास बढ़ाना चाहते हैं? तो अविश्वासियों को स्वयं को यीशु से दूर करने की अनुमति न दें। आज आप कैसी संगति रखते हैं?
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए… ।