आप अभी भी दौड़ जीत सकते हैं
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नीतिवचन 17:27,28 जो संभल कर बोलता है, वही ज्ञानी ठहरता है; और जिसकी आत्मा शान्त रहती है, वही समझ वाला पुरूष ठहरता है। 28 मूढ़ भी जब चुप रहता है, तब बुद्धिमान गिना जाता है; और जो अपना मुंह बन्द रखता वह समझ वाला गिना जाता है॥
आप और मैं शायद कभी भी किसी झुंड के सबसे तेज़, होशियार या सबसे सफल व्यक्ति नहीं होंगे। लेकिन एक चीज है जो हमें अपने समूह में सबसे आगे ला सकती है। क्या आप जानना चाहेंगे कि वह क्या है?
मेरे एक मित्र ने हाल ही में मुझे एक कहानी बताई की: “जब मैं 5 साल का था, तो मैंने अपने स्कूल खेल दिवस में भाग लिया। सभी बच्चे अंतिम रेखा पर लगे रिबन से पहले ही रुक गए। मैं आखिरी स्थान पर आ रहा था, लेकिन मैं भागते हुए रिबन को पार कर गया और जीत गया। मैं हमेशा एक अच्छा श्रोता रहा हूं और निर्देशों का पालन करता हूं।”
आपको कहानी पसंद आई? समस्या यह है कि हममें से बहुत से लोग यही गलती करते हैं। हम ध्यान से नहीं सुनते। अगर हम समय को पीछे मोड़ सकें और अपने आप को कुछ सलाह दे सकें, तो वह इस तरह होगी: ‘बैठ जाओ, चुप रहो और सुनो’।
हम, अपने जीवन का बहुत ज़्यादा समय बात करने में और बहुत कम समय सुनने में बितातें हैं। इसलिए, अगर आप चाहें तो, आज मैं आपके दिल में ईश्वरीय ज्ञान का यह अनमोल मोती डालना चाहता हूँ:
नीतिवचन 17:27,28 जो संभल कर बोलता है, वही ज्ञानी ठहरता है; और जिसकी आत्मा शान्त रहती है, वही समझ वाला पुरूष ठहरता है। 28 मूढ़ भी जब चुप रहता है, तब बुद्धिमान गिना जाता है; और जो अपना मुंह बन्द रखता वह समझ वाला गिना जाता है॥
हम कितनी बार बिना सुने ही बात करना, दौड़ना शुरू कर देते हैं? यहाँ परमेश्वर हमें यह बता रहा है कि जितना कम हम बात करेंगे और जितना ज़्यादा हम दूसरों की बातों को तौलेंगे, उनकी नज़र से चीज़ों को देखेंगे – हम उतने ही समझदार बनेंगे।
हममें से बहुत से लोग चाहते हैं कि परमेश्वर हमारे जीवन को बदल दे; लेकिन हममें से बहुत कम लोग उसकी बात सुनते हैं। हो सकता है कि आप ट्रैक पर सबसे तेज़ बच्चे न हों। लेकिन सुनिए, आप फिर भी दौड़ जीत सकते हैं।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए … ।