कुछ याद करने योग्य
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Psalm 16:7,8 मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उसने मुझे सम्मत्ति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है। 8 मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा॥
यह लगभग तय है कि जब हम विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहे होते हैं, किन्ही समस्याओं से जूझ रहे होते हैं, मुश्किलों के बीच होते हैं, तो हम अपने आप को पूरी तरह से अकेला महसूस करते हैं। हो सकता है हम अकेले न हों, लेकिन ऐसा महसूस होता है।
वास्तव में, लड़ाई जितनी बड़ी होगी, हमारा दर्द और तकलीफ जितनी ज्यादा होगी…परमेश्वर उतना ही दूर दिखाई देंगे। जिस समस्या का हम सामना कर रहे हैं वह इतनी बड़ी है कि ईश्वर दूर से बहुत छोटा नज़र आता है… वो भी तब, अगर हम उसे देख भी सकें। क्या यह सही लग रहा है?
इसके बावजूद, दूर के ईश्वर से अलग होकर अकेले होने का वह एहसास, सच्चाई नहीं है। क्योंकि सच्चाई तो यह है:
भजन 16:7,8 मैं यहोवा को धन्य कहता हूं, क्योंकि उसने मुझे सम्मत्ति दी है; वरन मेरा मन भी रात में मुझे शिक्षा देता है।
8 मैं ने यहोवा को निरन्तर अपने सम्मुख रखा है: इसलिये कि वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा॥
आपको और मुझे, हमें इस सच्चाई को सिखाने के लिए पवित्र आत्मा की आवश्यकता है, ताकि आधी रात में जब हम करवटें बदल रहे हों तो याद रखें कि वह हमारे साथ रहे। इसीलिए परमेश्वर के वचन को याद रखना इतना महत्वपूर्ण है, ताकि प्रतिकूल परिस्थिति आने पर हम तैयार रहें। वह सत्य जो हमें ईश्वर द्वारा सिखाया गया है , हमारे हृदयों पर लिखा रहे। जो शक्तिशाली चीज़ हमें याद रखने की आवश्यकता है वह यह है: कि प्रभु हमेशा मेरे साथ हैं। वह मेरे दाहिने हाथ रहता है मैं कभी न डगमगाऊंगा॥
राजा दाऊद ने बड़ी संघर्षपूर्ण परिस्थितियों के बीच ये शब्द लिखे। उस पल में, उसे परमेश्वर बिल्कुल भी दूर नहीं लग रहा था, क्योंकि वह पहले से ही इस सच्चाई को जानता था। मित्र, प्रभु सदैव आपके साथ है!
यह उसका ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।