तूफ़ान की आँख में
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भजन 46:1-3,10 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; 3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें॥चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
कभी-कभी जिंदगी में हम जिन चीजों का सामना करते हैं, वह बेहद डरावनी हो सकती हैं। और कभी ऐसा लगता है जैसे यह हमें दो पाटों के बीच पीस रही है। किसी भी तरह, हमें वास्तव में शांति की आवश्यकता है। लेकिन कोई बताये, ये आपको कहां मिल सकती है?
जब जीवन की समस्याएं आपके अस्तित्व के भीतर तक हमला करती हैं, तो शांति को पकड़े रहना असंभव लगता है। जब आपकी वित्तीय स्थिति चरमरा रही हो, एक टूटी हुई शादी, एक भटकते बच्चे की त्रासदी, एक विनाशकारी बीमारी के पूर्वानुमान के बीच आप आंतरिक शांति कैसे पा सकते हैं?
अक्सर, हम अपने तरीके से इन समस्याओं का समाधान निकालने की कोशिश करते हैं, समस्या के बारे में बार बार सोचते हैं, रात में करवट बदलते हैं। लेकिन क्या इसका कोई लाभ हुआ है ?
लेकिन यहाँ ईश्वर का दृष्टिकोण, उसका सत्य, उसकी शांति है।
भजन 46:1-3,10 परमेश्वर हमारा शरणस्थान और बल है, संकट में अति सहज से मिलने वाला सहायक। 2 इस कारण हम को कोई भय नहीं चाहे पृथ्वी उलट जाए, और पहाड़ समुद्र के बीच में डाल दिए जाएं; 3 चाहे समुद्र गरजे और फेन उठाए, और पहाड़ उसकी बाढ़ से कांप उठें॥चुप हो जाओ, और जान लो, कि मैं ही परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
पृथ्वी उथल पुथल हो रही है, पहाड़ समुद्र में गिर रहे हैं, समुद्र गरज रहा है, आपके पैरों के नीचे की ज़मीन हिल रही है। इसका समाधान आपको इंटरनेट पर नहीं मिलेगा। जी नहीं! जिस स्थान पर हमें, आपको और मुझे, शांति की आवश्यकता है, वह उन परिस्थितियों से भागने में नहीं है, बल्कि वहीं है, तूफान के बीच की शांति में। क्योंकि परमेश्वर वहीं है.
शांत रहो और जानो कि मैं परमेश्वर हूं। मैं जातियों में महान हूं, मैं पृथ्वी भर में महान हूं!
यह उसका ताज़ा वचन है। आज ..आपके लिए…।