प्यार कभी बर्बाद नहीं होता
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मत्ती 27:27-31 तब हाकिम के सिपाहियों ने यीशु को किले में ले जाकर सारी पलटन उसके चहुं ओर इकट्ठी की। 28 और उसके कपड़े उतारकर उसे किरिमजी बागा पहिनाया। 29 और काटों को मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा; और उसके दाहिने हाथ में सरकण्डा दिया और उसके आगे घुटने टेककर उसे ठट्ठे में उड़ाने लगे, कि हे यहूदियों के राजा नमस्कार। 30 और उस पर थूका; और वही सरकण्डा लेकर उसके सिर पर मारने लगे। 31 जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो वह बागा उस पर से उतारकर फिर उसी के कपड़े उसे पहिनाए, और क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले चले॥
क्या आपने कभी किसी के साथ कोई भलाई की और जब उन्होंने इसके लिए आपको धन्यवाद देना तो दूर, इसका जिक्र तक नहीं किया तो आपको बहुत बुरा लगा ? और आपने सोच होगा कि मैंने इसकी परवाह ही क्यों की?
क्या यह हास्यास्पद नहीं है कि हम कृतज्ञता की इस स्पष्ट अनुपस्थिति पर कैसे प्रतिक्रिया देते हैं? यह हमारे स्वयं के अधिकार की भावना के बारे में क्या कहता है, जब हम कल्पना करते हैं कि धन्यवाद की कमी के कारण हमारी भलाई का मूल्य किसी तरह कम हो गया है, या उसका कोई महत्व ही नहीं रहा?
उस विचार का क्या हुआ कि एक अच्छे काम का अपने आप में अत्यधिक मूल्य होता है? कि प्रेम सबसे मूल्यवान वस्तु है, भले ही दूसरा व्यक्ति इसे स्वीकार कर या ना करे? इसे समझे या ना समझे ।
क्या आपके जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति है? कोई ऐसा व्यक्ति जिसे आप अपने से दूर करने के लिए सोच रहें हैं? इसलिए यीशु ने आपके और मेरे जैसे पापियों से यह कहा –
मत्ती 27:27-31 तब हाकिम के सिपाहियों ने यीशु को किले में ले जाकर सारी पलटन उसके चहुं ओर इकट्ठी की।
28 और उसके कपड़े उतारकर उसे किरिमजी बागा पहिनाया।
29 और काटों को मुकुट गूंथकर उसके सिर पर रखा; और उसके दाहिने हाथ में सरकण्डा दिया और उसके आगे घुटने टेककर उसे ठट्ठे में उड़ाने लगे, कि हे यहूदियों के राजा नमस्कार।
30 और उस पर थूका; और वही सरकण्डा लेकर उसके सिर पर मारने लगे।
31 जब वे उसका ठट्ठा कर चुके, तो वह बागा उस पर से उतारकर फिर उसी के कपड़े उसे पहिनाए, और क्रूस पर चढ़ाने के लिये ले चले॥
सी.एस. लुईस ने इसे इस तरह कहा: “प्यार कभी बर्बाद नहीं जाता , क्योंकि इसका मूल्य पाने वाले पर निर्भर नहीं करता है।” हम प्रेम करते हैं, क्योंकि परमेश्वर ने पहले हम से प्रेम किया।
यह उसका ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।