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लोग इतनी मेहनत क्यों करते हैं?

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सभोपदेशक 4:4 फिर मैंने देखा कि सब परिश्रम और सारा कार्यकौशल अपने पड़ोसी के प्रति शत्रु-भावना से किया जाता है। अत: यह भी व्‍यर्थ है, यह मानो हवा को पकड़ना है।

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लोग इतनी मेहनत क्यों करते हैं?


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यदि कोई आए और आपको संतुष्टि देने की पेशकश करे, एक ऐसा फलदायी और संतुलित जीवन जिसमे गहरी संतुष्टि हो, तो क्या आप उस प्रस्ताव को स्वीकार करेंगे? मुझे पूरा यकीन है कि हममें से ज्यादातर लोग ऐसा करेंगे।

यह सच है। मन की गहराई से हम उस संतुलित जीवन के लिए तरसते हैं जो संतोष लाता है। एक ओर, अच्छी चीजों को प्राप्त करने के लिए हम अपनी क्षमताओं का उपयोग करना चाहते हैं लेकिन दूसरी ओर, हमारे परिश्रम का फल भोगने के लिए पर्याप्त समय होना चाहिए।

आजकल हम इसे वर्क-लाइफ बैलेंस कहते हैं। यानि काम और जीवन के बीच संतुलन।  तो आपका कार्य-जीवन संतुलन कैसा चल रहा है? कुछ के लिए काम बहुत अधिक है, और जीवन का आनंद लेने के लिए पर्याप्त समय नहीं है और दूसरों के लिए,मामला बिल्कुल विपरीत है।

1965 में प्रसिद्ध ब्रिटिश रॉक ग्रुप द रोलिंग स्टोन्स का एक गीत “आई कांट गेट नो, सैटिस्फैक्शन” नंबर एक पर पहुँचने वाला हिट गाना था। इसने असंतुलित जीवन जीने वाले लोगों के ह्रदये को छू लिया।

हमारे जीवन को प्रभावित करने वाली सारी तकनीकों के बावजूद, शायद हम तब से अधिक असंतुलित हो गए हैं। क्या इसमें कुछ नया है? बिल्कुल नहीं। लगभग 960 ईसा पूर्व में फिर से राजा सुलैमान ने लिखा:

सभोपदेशक 4:5,6 मूर्ख छाती पर हाथ रखे रहता, और अपना मांस खाता है।

6चैन के साथ एक मुट्ठी उन दो मुट्ठियों से अच्छी है, जिनके साथ परिश्रम और मन का कुढ़ना हो।

यही वह बात है, जो तीन हजार साल पहले, परमेश्वर जीवन में इस पूरे कार्य-जीवन संतुलन के बारे में कह रहे थे जो आज 21वीं सदी में हमारे जीवन को इतना परेशान कर रहा है।

तो – मैं आपको इस प्रश्न के साथ छोड़ता हूं: आपकी इच्छा कितना अधिक ऐसा सामान इकठ्ठा करने की है, जो आपके जीवन को बर्बाद कर रही है?

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए… ।


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