सीखने के लिए तैयार
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नीति वचन 1:1-6 दाऊद के पुत्र इस्राएल के राजा सुलैमान के नीतिवचन: 2 इनके द्वारा पढ़ने वाला बुद्धि और शिक्षा प्राप्त करे, और समझ की बातें समझे, 3 और काम करने में प्रवीणता, और धर्म, न्याय और सीधाई की शिक्षा पाए; 4 कि भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक मिले; 5 कि बुद्धिमान सुन कर अपनी विद्या बढ़ाए, और समझदार बुद्धि का उपदेश पाए, 6 जिस से वे नितिवचन और दृष्टान्त को, और बुद्धिमानों के वचन और उनके रहस्यों को समझें॥
तो, आप एक बढ़िया खाना बना रहे हैं, लेकिन अचानक , आपको पता चलता है कि आप के पास एक महत्वपूर्ण मसाला नहीं है। जल्दी से, आप स्थानीय किराने की दुकान पर जाते हैं। लेकिन जब आप पहुँचते हैं, तो सामने के दरवाज़े पर “बंद” का साइन लटका होता है। अब क्या होगा!
आप यह नहीं चाहते! उस स्टोर को व्यवसाय के लिए खुला होना चाहिए था। है ना ? क्योंकि उस महत्वपूर्ण सामग्री या मसले के बिना, आपकी रेसिपी काम नहीं करेगी।
लेकिन जब बात हमारे अपने तरीके बदलने की आती है; कुछ नया सीखने की; यह स्वीकार करने की कि, ईमानदारी से, हमसे कुछ गलत हुआ है और हमें इसे ठीक करने की ज़रूरत है, तो हम कितनी बार बंद का साइन लटका देते हैं?
कई लोगों की तरह मैं भी किशोरावस्था में ऐसा ही सोचता था, क्योंकि तब मुझे यकीन था कि मैं लगभग सब कुछ जानता हूँ। आप क्या सोचते हैं? इसीलिए, जब राजा सुलैमान ने अपने युवा बेटों को शिक्षा देना शुरू किया, उन्हें अपने वर्षों के अनुभव से सिखाना शुरू किया, तो उन्होंने इस तरह से शुरुआत की:
नीति वचन 1:1-6 दाऊद के पुत्र इस्राएल के राजा सुलैमान के नीतिवचन: 2 इनके द्वारा पढ़ने वाला बुद्धि और शिक्षा प्राप्त करे, और समझ की बातें समझे, 3 और काम करने में प्रवीणता, और धर्म, न्याय और सीधाई की शिक्षा पाए; 4 कि भोलों को चतुराई, और जवान को ज्ञान और विवेक मिले; 5 कि बुद्धिमान सुन कर अपनी विद्या बढ़ाए, और समझदार बुद्धि का उपदेश पाए, 6 जिस से वे नितिवचन और दृष्टान्त को, और बुद्धिमानों के वचन और उनके रहस्यों को समझें॥
मित्रों, जब सुधार की बात आती है, सीखने की बात आती है, तो हमेशा सीखने के लिए तैयार रहें। परमेश्वर की सुनें क्योंकि उसकी बुद्धि आपका जीवन बदल देगी।
यह उसका ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए … ।