परमेश्वर किसकी सुनते हैं?
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मलाकी 3:16 तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धर कर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।
इस्राएल के इतिहास में एक समय था जब उन्होंने परमेश्वर से मुंह मोड़ लिया था। और, वे उसके विरुद्ध अपने विद्रोह के परिणाम भुगत रहे थे .। क्या आप इस से परिचित है?
मैं हूँ क्रिस्टोफर सिंह और आज के ताज़ा कार्यक्रम में फिर से आपका स्वागत है।
ज़रूर क्योंकि हम ने भी यह किया है। हम सभी ने, कभी-न कभी, परमेश्वर से मुंह मोड़ लिया है और जिस तरह एक बच्चे के माता-पिता की अवज्ञा करने के परिणाम होते हैं, उसी तरह हमारी अवज्ञा, परमेश्वर के प्रति हमारे विद्रोह के भी परिणाम होते हैं।
आप अपना जीवन शांति से नहीं जी सकते, जब आप उसके विरुद्ध विद्रोह कर रहे होते हैं, आप प्रभु के आनंद से नहीं भर सकते। ठीक इसी तरह से परमेश्वर ने चीजों को स्थापित किया है… क्योंकि वह हमसे प्यार करता है। परिणाम, हमारे विद्रोह का दर्द … वे हमें होश में लाने के लिए हैं, वे हमें उसकी ओर वापस लाने के लिए हैं।
तो, फिर इसराएली अपने होश में कैसे आए? उन्हें परमेश्वर का ध्यान कैसे मिला?
मलाकी 3:16 तब यहोवा का भय मानने वालों ने आपस में बातें की, और यहोवा ध्यान धर कर उनकी सुनता था; और जो यहोवा का भय मानते और उसके नाम का सम्मान करते थे, उनके स्मरण के निमित्त उसके साम्हने एक पुस्तक लिखी जाती थी।
परमेश्वर ने किसकी सुनी? उन लोगों की जो उसका सम्मान करते थे, सचमुच मूल हिब्रू में, उन लोगों के लिए जो उससे डरते थे। उन्हें सम्मानित करने वालों के लिए। उन लोगों के लिए जिन्होंने उसके नाम पर विचार किया।
शायद आप विद्रोह के दौर से गुज़रे हैं। शायद आपने उससे मुंह मोड़ लिया हो। शायद आप अभी उस जगह पर हैं। मेरी बात सुनिए । पीछे मुड़ने में कभी देर नहीं होती। वह उन लोगों की सुनने के लिए हमेशा तैयार रहता है जो उससे डरते हैं, जो उसका सम्मान करते हैं, जो उसके नाम का सम्मान करना चाहते हैं। अभी इतनी देर नहीं हुई है।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए…।