... helping you be all that God made you to be, because He plans on shining His light into this world through you.

Berni - ceo, Christianityworks

अच्छी आदतों की शक्ति

We're glad you like it!

Enjoying the content? You can save this to your favorites by logging in to your account.

Register or Login

Add to Favourites

याकूब 1:22-25 परन्तु वचन पर चलनेवाले बनो, और केवल सुननेवाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। 23क्योंकि जो कोई वचन का सुननेवाला हो और उस पर चलनेवाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुँह दर्पण में देखता है। 24इसलिये कि वह अपने आप को देखकर चला जाता और तुरन्त भूल जाता है कि वह कैसा था। 25पर जो व्यक्‍ति स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर भूलता नहीं पर वैसा ही काम करता है। 

Listen to the radio broadcast of

अच्छी आदतों की शक्ति


Download audio file

हमारे जीवन की एक सबसे शक्तिशाली ताकत है  – यह शक्ति या तो अच्छाई या बुराई के लिए वे आदतें हैं जिन्हें हम या तो विकसित करते हैं (अच्छाई के लिए) या फिर जिनमें गिर जाते हैं  (बुराई के लिए)। ज़रा सोचिए, आपकी आदतें कितनी स्वस्थ हैं?

एक ऐसे व्यक्ति के रूप में जो जुनून के साथ शारीरिक व्यायाम से नफरत करता है, लंबे समय तक मैंने विशेषज्ञों को यह कहते सुना है, “आपको उम्र बढ़ने के साथ व्यायाम करने की ज़रूरत है,” लेकिन मैंने इसके बारे में कुछ नहीं किया। परंतु इस साल के शुरु में एक दिन, मुझे लगा कि यदि मैं इस बारे में कुछ नहीं करूंगा तो, मेरी मांसपेशियों और हड्डियों की मजबूती में गिरावट जारी रहेगी … जो मुझे मेरे बाद के वर्षों में काफी परेशानी दे सकती है। ।

तो अब, मैं काफी पैदल चलता हूँ। सीढ़ियों पर कुछ बार ऊपर नीचे जाता हूँ, छुट्टी वाले दिन अपने बग़ीचे में काम करता हूँ ताकि मेरा शरीर स्वस्थ रहे। सच कहूँ तो ऐसा करने के बाद मैं बहुत अच्छा महसूस करता हूँ। लेकिन मेरे स्वास्थ्य में बदलाव केवल विशेषज्ञों की बातों से नहीं आया। यह उन अच्छी आदतों से आया है जो मैं बना रहा हूँ।  और उसी तरह…

याकूब 1:22-25 परन्तु वचन पर चलनेवाले बनो, और केवल सुननेवाले ही नहीं जो अपने आप को धोखा देते हैं। 23क्योंकि जो कोई वचन का सुननेवाला हो और उस पर चलनेवाला न हो, तो वह उस मनुष्य के समान है जो अपना स्वाभाविक मुँह दर्पण में देखता है। 24इसलिये कि वह अपने आप को देखकर चला जाता और तुरन्त भूल जाता है कि वह कैसा था। 25पर जो व्यक्‍ति स्वतंत्रता की सिद्ध व्यवस्था पर ध्यान करता रहता है, वह अपने काम में इसलिये आशीष पाएगा कि सुनकर भूलता नहीं पर वैसा ही काम करता है।  

इसलिए केवल वचन के सुनने वाले नहीं परंतु उस पर चलने वाले बनें। 

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए… ।


We use cookies to improve your browsing experience, analyse site traffic & personalise content, but we do not track you when you leave this site. To find out how we utilise & protect your data, check out our "Privacy Policy".

Privacy Policy