अपनी आत्मा को बचाने कि शक्ति
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याकूब 1:21 इसलिए आप लोग हर प्रकार की मलिनता और समस्त बुराई को दूर कर नम्रतापूर्वक परमेश्वर का वह वचन ग्रहण करें, जो आप में रोपा गया है और आपकी आत्मा का उद्धार करने में समर्थ है
विश्वास रखिए, कुछ चीजें जो परमेश्वर आपसे कहना चाहता है, कई बार वे असुविधाजनक और अक्सर हमारी सांसारिक बुद्धि कि समझ से बाहर होती हैं। इसलिए जब आप बाइबल के उन पदों में से किसी एक का अध्ययन करते हैं, तो आप कि क्या प्रतिक्रिया होती है।
कितना अच्छा हो यदि, परमेश्वर हमें हमारे आनंदमय तरीके से जीवन जीने दे, और हमारी इच्छाओं को ध्यान में रखते हुए, जब आवश्यक हो, हमारी मदद कर दें। सच्चाई ये है, कि हम अक्सर ऐसा सोचते हैं। शायद सब के सामने नहीं, लेकिन मन में। और फिर आप इस पद को पढ़ते हैं:
याकूब 1:21 इसलिए आप लोग हर प्रकार की मलिनता और समस्त बुराई को दूर कर नम्रतापूर्वक परमेश्वर का वह वचन ग्रहण करें, जो आप में रोपा गया है और आपकी आत्मा का उद्धार करने में समर्थ है
यहां वह घूमा फिरा कार बात नहीं कर रहा है। यहाँ बात नैतिक गंदगी और अत्यधिक भ्रष्टता कि है । हम सभी के अंदर एक अंधेरा, और पापी स्वभाव है। और कभी-कभी, जब हम दबाव में होते हैं, तो यह अपना बदसूरत सिर उठाता है और हम सोचते रह जाते हैं कि यह कहां से आया?
हो सकता है कि आप देखें कि यह बार-बार होता है, मानों आपका इस पर कोई नियंत्रण नहीं है। बहुत बढ़िया ! परमेश्वर मुझसे कह रहा है कि उस सारी गंदगी और व्याप्त दुष्टता को दूर कर दूं, लेकिन कैसे? खैर, पद के दूसरे भाग में “कैसे” आता है: नम्रतापूर्वक परमेश्वर का वह वचन ग्रहण करें, जो आप में रोपा गया है और आपकी आत्मा का उद्धार करने में समर्थ है
एक शक्तिशाली, परिवर्तनकारी, जीवन बदलने वाला काम तब होता है जब हम खुले, विनम्र हृदय से परमेश्वर के वचन को ग्रहण करते हैं। क्या आप समझ रहे हैं? यह हमारी आत्मा को बचाता है। यह हमें मुक्त करता है। यह हमें वापस परमेश्वर की छवि में पुनर्स्थापित करता है जिसमें हम बनाए गए थे।
पवित्रशास्त्र के उन कठिन, असुविधाजनक, यहाँ तक कि आपत्तिजनक अंशों को परमेश्वर ने आपकी आत्मा को बचाने के लिए वहाँ रखा है। नम्रता से उनका स्वागत करें।
यह उसका ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…