आओ मछली पकड़ने चलें
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मत्ती 4:21,22 और वहां से आगे बढ़कर, उस ने और दो भाइयों अर्थात जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा; और उन्हें भी बुलाया वे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए॥
तो आप यीशु में विश्वास करते हैं। बहुत अच्छा , लेकिन आप इस विश्वास के साथ क्या कर रहे हैं? इस दुनिया में आपके विश्वास का क्या प्रभाव पड़ रहा है? आपने कितने लोगों को नरक के कगार से वापस खींच लिया है, क्योंकि उन्हों ने आपके माध्यम से यीशु को जाना ?
यह कुछ अजीब और शायद असहज सवाल भी हैं, है ना?
हो सकता है कि आप कहें कि मैं एक evangelist नहीं हूं। यह मेरा काम नहीं है। हम इसके लिए अपने चर्च में पादरी को वेतन देते हैं।
इसे देखने का यह एक तरीका है। लेकिन बाइबल मे लिखा है :
मत्ती 4:21,22 और वहां से आगे बढ़कर, उस ने और दो भाइयों अर्थात जब्दी के पुत्र याकूब और उसके भाई यूहन्ना को अपने पिता जब्दी के साथ नाव पर अपने जालों को सुधारते देखा; और उन्हें भी बुलायावे तुरन्त नाव और अपने पिता को छोड़कर उसके पीछे हो लिए॥
अब, यीशु के साथ होने से पहले ही, कल्पना कीजिए कि याकूब, यूहन्ना और जब्दी ने जो कुछ किया वह जाल तैयार करने के लिए था। उन्होंने उनकी देखभाल की, उन्हें साफ किया, उनकी मरम्मत की, उन्हें बार-बार मोड़ के संभाल कर रखा । लेकिन अगर वे कभी भी मछली पकड़ने गलील के समुद्र में नहीं जाते तो क्या आपको लगता है कि उनका व्यवसाय सफल होता ?
फिर यीशु आता है और उन्हें “मनुष्यों के मछुए” बनाने का वादा करता है ताकि वे उसका अनुसरण करें। उनके लिए एक साहसी कदम । लेकिन क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि यीशु के स्वर्गारोहण के बाद, वे कितने सफल होते, यदि वे बस अपनी साप्ताहिक छोटी सभा में बैठे रहते और यह बात करते कि यीशु कितना अद्भुत था, और वह सब कुछ जो उसने कहा और किया ?
तो आज चर्च कहाँ होता, अगर वे मछली पकड़ने के लिए बाहर नहीं जाते तो क्या कोई चर्च होता भी या नहीं, – और इसके लिए उन्होंने अपने जीवन से कीमत चुकाई ?
तो यहाँ सवाल है: क्या आप भी मछली पकड़ रहे हैं या आप केवल अपने जाल में व्यस्त हैं?
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए.