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Berni - ceo, Christianityworks

एक जलता हुआ प्रश्न

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2 इतिहास 1:8-12 सुलैमान ने परमेश्वर से कहा, तू मेरे पिता दाऊद पर बड़ी करुणा करता रहा और मुझ को उसके स्थान पर राजा बनाया है। अब हे यहोवा परमेश्वर! जो वचन तू ने मेरे पिता दाऊद को दिया था, वह पूरा हो; तू ने तो मुझे ऐसी प्रजा का राजा बनाया है जो भूमि की धूलि के किनकों के समान बहुत है।अब मुझे ऐसी बुद्धि और ज्ञान दे, कि मैं इस प्रजा के साम्हने अन्दर- बाहर आना-जाना कर सकूं, क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके? परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, तेरी जो ऐसी ही मनसा हुई, अर्थात तू ने न तो धन सम्पत्ति मांगी है, न ऐश्वर्य और न अपने बैरियों का प्राण और न अपनी दीर्घायु मांगी, केवल बुद्धि और ज्ञान का वर मांगा है, जिस से तू मेरी प्रजा का जिसके ऊपर मैं ने तुझे राजा नियुक्त किया है, न्याय कर सके, इस कारण बुद्धि और ज्ञान तुझे दिया जाता है। और मैं तुझे इतना धन सम्पत्ति और ऐश्वर्य दूंगा, जितना न तो तुझ से पहिले किसी राजा को, मिला और न तेरे बाद किसी राजा को मिलेगा।”

जो कोई प्रार्थना करता है वह जानता है कि, कि हम अपना अधिकांश समय परमेश्वर से माँगने में लगाते हैं। बहुत सी बातें। ज्वलंत प्रश्न यह है कि क्या हम उससे सही चीज मांग रहे हैं ?

यदि आप परमेश्वर से कुछ भी मांग सकते, तो आप उनसे क्या मांगेंगे? आपका उत्तर महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आपको बताता है कि आपका जीवन क्या है। क्या यह पैसा है, या मान्यता है, या वह “चीज़” जिसे आपने विज्ञापन में देखा है।

जब आप अपना उत्तर सोच रहे हों, तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि एक युवा राजा ने एक बार परमेश्वर से क्या मांगा था …

2 इतिहास 1:8-12 सुलैमान ने परमेश्वर से कहा, तू मेरे पिता दाऊद पर बड़ी करुणा करता रहा और मुझ को उसके स्थान पर राजा बनाया है। अब हे यहोवा परमेश्वर! जो वचन तू ने मेरे पिता दाऊद को दिया था, वह पूरा हो; तू ने तो मुझे ऐसी प्रजा का राजा बनाया है जो भूमि की धूलि के किनकों के समान बहुत है।अब मुझे ऐसी बुद्धि और ज्ञान दे, कि मैं इस प्रजा के साम्हने अन्दर- बाहर आना-जाना कर सकूं, क्योंकि कौन ऐसा है कि तेरी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके? परमेश्वर ने सुलैमान से कहा, तेरी जो ऐसी ही मनसा हुई, अर्थात तू ने न तो धन सम्पत्ति मांगी है, न ऐश्वर्य और न अपने बैरियों का प्राण और न अपनी दीर्घायु मांगी, केवल बुद्धि और ज्ञान का वर मांगा है, जिस से तू मेरी प्रजा का जिसके ऊपर मैं ने तुझे राजा नियुक्त किया है, न्याय कर सके, इस कारण बुद्धि और ज्ञान तुझे दिया जाता है। और मैं तुझे इतना धन सम्पत्ति और ऐश्वर्य दूंगा, जितना न तो तुझ से पहिले किसी राजा को, मिला और न तेरे बाद किसी राजा को मिलेगा।”

तो मैं आपसे फिर पूछता हूं, अगर आप परमेश्वर से कुछ भी मांग सकते तो आप क्या मांगेंगे? या शायद बेहतर सवाल यह है, “परमेश्वर आपसे क्या माँगना चाहता है?”

जरा सोचे और फिर, जवाब दें

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।



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