... helping you be all that God made you to be, because He plans on shining His light into this world through you.

Berni - ceo, Christianityworks

क्या आप लोगों के साथ उचित व्यवहार कर रहे हैं?

We're glad you like it!

Enjoying the content? You can save this to your favorites by logging in to your account.

Register or Login

Add to Favourites

नीतिवचन 28:5 दुष्‍कर्म करनेवाला मनुष्‍य न्‍याय को नहीं समझता; परन्‍तु प्रभु के भक्‍त ही उसको भली-भांति समझते हैं।

Listen to the radio broadcast of

क्या आप लोगों के साथ उचित व्यवहार कर रहे हैं?


Download audio file

जब न्याय की बात आती है, तो अक्सर, हम दोहरे मापदंड से काम करने के लिए ललचाते हैं। जब हमें  न्याय चाहिए होता है, तो हम मापदंड को ऊंचा कर देते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि हमारे साथ उचित व्यवहार किया जाना चाहिए। लेकिन जब यही न्याय दूसरों को चाहिए होता है, तो कभी-कभी … हम यह मापदंड बहुत नीचे कर देते हैं।

कई बार, नेतृत्व करने वाले लोगों को कुछ अप्रिय चीजें करनी पड़ी हैं, और उनमें से एक है लोगों को निकालना या उनके पद से हटाना। ऐसा करना बड़ा मुश्किल होता है और इसमे कोई खुशी नहीं मिलती।

लेकिन, अगर आप लोगों को नहीं बदल सकते, तो कभी-कभी, आपको, लोगों को बदलना पड़ता है। यानि उनकी जगह किसी और को देनी पड़ती है। लेकिन फिर भी यह हमेशा याद रखना चाहिए कि संबंधित व्यक्ति के साथ निष्पक्ष और सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाए।

इसका मतलब है कि आपको उनके साथ बात करनी होगी, उन्हें विशेष रूप से यह बताना होगा कि कैसे और कहाँ उनके काम का स्तर नीचा हैं और दोनों पक्षों को अपना दृष्टिकोण रखने और फिर अपने तरीके बदलने का अवसर मिल सके।

मेरे एक मित्र ने हाल ही में मुझे बताया कि, हमारे साथ  सेवकाई में एक ऐसा व्यक्ति था जिसके साथ वह  अठारह महीने तक इस प्रक्रिया से गुज़रे। कुछ लोग कहेंगे कि यह बहुत लंबा समय है और यह आसान भी नहीं था। लेकिन उनका कहना है कि जैसे जैसे मेरे सिर के बाल और अधिक सफेद होते जा रहें हैं,  और मैं यीशु के और करीब आता जा रहा हूं, लोगों के साथ उचित व्यवहार करना मेरे लिए उतना ही महत्वपूर्ण होता जा रहा है।

 नीतिवचन 28:5 दुष्‍कर्म करनेवाला मनुष्‍य न्‍याय को नहीं समझता; परन्‍तु प्रभु के भक्‍त ही उसको भली-भांति समझते हैं।

क्या इस समय आपके जीवन में या काम पर आपके आधीन कोई है, जो आपके स्तर के अनुसार काम नहीं कर रहा या उनका काम उस स्तर का नहीं है जैसा होना चाहिए। और मैं आपसे पूछता चाहता हूं, क्या आप उनके साथ उचित व्यवहार कर रहे हैं?

क्या आपने उन्हें स्पष्ट रूप से बताया है कि वे उनके काम में कहाँ पर कमी है ? क्या आपने उनके पक्ष को सुनने और समझने के लिए समय निकाला है? क्या आपने उन्हें अपने तरीके बदलने के लिए समय, सहायता और अवसर दिया है?

क्योंकि ऐसा ना करना अनुचित है। इसमें कहीं भी न्याय नहीं है। कम से कम, यह परमेश्वर का न्याय नहीं है।

परन्‍तु प्रभु के भक्‍त ही उसको भली-भांति समझते हैं।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।