जब आप परमेश्वर पर विश्वास नहीं करते।
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यिर्मयाह 17:5,6 प्रभु यों कहता है :‘वह मनुष्य शापित है,जो आदमी पर भरोसा करता है,जो हाड़-मांस के पुतले का सहारा लेता है,जिसका हृदय प्रभु से भटक जाता है। वह मरुस्थल की छोटी सूखी झाड़ीके समान होता है, जो कभी फलती-फूलती नहीं। वह मनुष्य निर्जन प्रदेश के सूखे इलाकों में निवास करेगा; वह नोनी भूमि के क्षेत्र में रहेगा, जहां कोई नहीं बसता।
जब हम यहाँ और अभी की वास्तविकताओं में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि हम परमेश्वर पर भरोसा करना बंद कर देते हैं। और यह, एक बड़ी गलती है।
मैंने ये अनुभव किया है और आपने भी अनुभव किया होगा, कि हम परमेश्वर में विश्वास तो करते हैं, लेकिन हमने यह विश्वास करना बंद कर दिया है कि वह हमारे जीवन में गहराई से शामिल है। हम भूल गए हैं कि वह हमसे प्यार करता है और वह हमारे जीवन में एक शक्तिशाली अंतर लाना चाहता है।
लेकिन क्योंकि हमें किसी चीज़ पर तो भरोसा करना है, इसलिए हम दूसरे लोगों पर, या अपनी ताकत या अपने बैंक बैलेंस या कल के लिए हमने जो योजनाएँ बनाई हैं, उन पर भरोसा करते हैं। मानों ये सब परमेश्वर कि तरह विश्वास योग्य हैं। तो मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि इन में से क्या आपके काम आया है?
यिर्मयाह 17:5,6 प्रभु यों कहता है :‘वह मनुष्य शापित है,जो आदमी पर भरोसा करता है,जो हाड़-मांस के पुतले का सहारा लेता है,जिसका हृदय प्रभु से भटक जाता है। वह मरुस्थल की छोटी सूखी झाड़ीके समान होता है, जो कभी फलती-फूलती नहीं। वह मनुष्य निर्जन प्रदेश के सूखे इलाकों में निवास करेगा; वह नोनी भूमि के क्षेत्र में रहेगा, जहां कोई नहीं बसता।
मैं उस झाड़ी को बहुत अच्छी तरह जानता हूं। कई बार ऐसा हुआ है जब मैं अपने दिमाग में जानता था कि परमेश्वर वफादार है, कि वह मेरे जीवन का हिस्सा बनने में सक्षम हैं और तैयार भी हैं, लेकिन मैं इस पर विश्वास करना भूल जाता हूँ। मैं इस सच्चाई को भूल जाता हूँ। और यह, मेरे विचार से, प्रभु पर भरोसा ना करने की परिभाषा है।
आप एक गर्म, खराब मिट्टी वाली शुष्क भूमि, में जीवन जीते हैं और आप उन अच्छी चीजों को पूरी तरह से भूल जाते हैं जो परमेश्वर दे सकते हैं। इसलिए परमेश्वर पर भरोसा रखिए!
यह उसका ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।