परमेश्वर का आराम
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भजन संहिता 55:22 अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा॥
मुझे आपसे कुछ पूछना है। इस समय आप क्या बोझ उठा रहे हैं? वह क्या है जो आपको गिरा रहा है ? आपके जीवन में ऐसा क्या है जिससे आप छुटकारा पाना चाहते हैं?
कभी-कभी यह एक छोटा सा दर्द होता है, तो कभी-कभी पूरी तरह से हमला। तो हम क्या करें? हम परमेश्वर को पुकारते हैं।
परमेश्वर … इसे बदलो, इसे ठीक करो, इसे दूर करो! हे प्रभु, आप मेरी बात क्यों नहीं सुन रहे हो? इसमें इतना समय क्यों लग रहा है?
बेशक यह स्वाभाविक है कि दर्द दूर हो जाए। लेकिन कभी-कभी प्यार करने वाले परमेश्वर के हाथ में दर्द एक आवश्यक उपकरण होता है। शायद इससे निपटने का एक बेहतर तरीका हो सकता है…
भजनसंहिता 55:22 अपना बोझ यहोवा पर डाल दे वह तुझे सम्भालेगा; वह धर्मी को कभी टलने न देगा॥
दूसरे शब्दों में, एक बोझ का सामना करना (शाब्दिक रूप से शब्द का अर्थ है जो उसने आपको दिया है – उसके बारे में सोचें!) हमारे पास दो विकल्प हैं। हम या तो परमेश्वर से इसे दूर करने के लिए कह सकते हैं, लेकिन फिर वह उसकी इच्छा हो या न हो, उसके लिए यह सही समय हो भी सकता है और नहीं भी। या वैकल्पिक रूप से, हम उस बोझ को उस पर डाल सकते हैं जो उसने हमें दिया है। यह परमेश्वर जिसके लिए कुछ भी ज्यादा नहीं है। यह ईश्वर जो आपको शब्दों से ज्यादा प्यार करता है, जो आपको सम्भालेगा, वो आपको कभी झुकने नहीं देगा।
S.H.B मास्टरमैन के नाम से एक बुद्धिमान उपदेशक ने एक बार कहा था कि परमेश्वर अक्सर हमारे जीवन की परिस्थितियों को बदलकर नहीं, बल्कि उनके प्रति हमारे दृष्टिकोण को बदलकर हमें दिलासा देते हैं।
कभी-कभी जिस कारण से उसने वह एक बोझ हम पर डाला है, वह हमे बदलने के लिए है जो केवल एक बोझ ही कर सकता है।
अपना बोझ यहोवा पर डाल, वह तुझे सम्भालेगा।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए..।