पारिवार का महत्व ।
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यहोशु 24:15 और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा।
हम में से प्रत्येक को, व्यक्तिगत रूप से, कभी ना कभी यह चुनाव करना है – या तो हम यीशु में विश्वास कर और उसे परमेश्वर मन के उसकी सेवा करेंगे, या उसे अस्वीकार कर अपने तरीके से जीवन जियेंगे। हमारे पास कोई बीच का रास्ता नहीं है।
मुझे आशा है कि आपने उसके पक्ष में फैसला किया होगा, जैसा कि मैंने किया है। और यह चुनाव हमें लगातार, हर दिन, हमारे सोच विचार, काम … यानि कि जीवन के हर दिन करना पड़ता है ।
लेकिन कई लोगों की प्रवृत्ति केवल अपने बारे में सोचने की होती है, न कि परिवारों के रूप में सोचने की। यह सच है कि कुछ संस्कृतियाँ वास्तव में परिवार को साथ लेकर चलती हैं। लेकिन जैसे-जैसे पश्चिमी शैली की समृद्धि उन संस्कृतियों के बीच फैल रही है वैसे वैसे सामूहिक, पारिवारिक जीवन जीने का तरीका टूटता जा रहा है।
इसलिए यह शास्त्र कितना सच है, चाहे आप कहीं भी रहते हों; किसी भी संस्कृति से आते हों:
यहोशू 24:15 और यदि यहोवा की सेवा करनी तुम्हें बुरी लगे, तो आज चुन लो कि तुम किस की सेवा करोगे, चाहे उन देवताओं की जिनकी सेवा तुम्हारे पुरखा महानद के उस पार करते थे, और चाहे एमोरियों के देवताओं की सेवा करो जिनके देश में तुम रहते हो; परन्तु मैं तो अपने घराने समेत यहोवा की सेवा नित करूंगा।
यह वचन बताता है कि परमेश्वर से प्रेम करने का निर्णय, यीशु में विश्वास करने, उसके लिए अपना जीवन जीने का निर्णय, हमारे पूरे परिवार के बारे में उतना ही आवश्यक है जितना कि यह हमारे व्यक्तिगत जीवन के लिए है।
आपका परिवार परमेश्वर के लिए मायने रखता है, बेहद। तो, जहाँ तक आपकी और आपके परिवार की बात है, आप किसकी सेवा करेंगे?
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए…।