पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ।
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यूहन्ना 11:25,26 येशु ने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करता है, वह मरने पर भी जीवित रहेगा 26और जो जीवित है, तथा मुझ में विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा। क्या तुम इस बात पर विश्वास करती हो?”
युवावस्था में अनंत जीवन में विश्वास करना अपेक्षाकृत आसान होता है। जब आप युवा होते हैं, तो जीवन में कई अच्छे वर्ष होने की संभावना होती है। सही है। लेकिन जीवन के अंतिम दिनों में आपका ये विश्वास कितना मजबूत रहेगा?
उसका नाम जॉन था। उसने कई अलग-अलग तरीकों से अविश्वसनीय सेवा का जीवन जिया। यह यीशु में अडिग विश्वास पर आधारित एक अद्भुत जीवन था। उसकी एक वफादार पत्नी और दो बेटे थे, और दोनों ही उसके सेवामय जीवन के नक्शे कदम पर चलते थे।
मैं एक दोपहर अस्पताल में उससे मिलने गया। वह अपने कमरे के कोने में कुर्सी पर सो रहा था और उससे जोर से बात करने और धीरे से उसका कंधा हिलाने के बावजूद, मैं उसे जगा नहीं सका। इसलिए मैंने चॉकलेट के डिब्बे को उसके बिस्तर पर छोड़ दिया और कमरे में रखे छोटे से ब्लैकबोर्ड पर एक छोटा संदेश लिखा।
लेकिन जैसे ही मैंने उसकी तरफ देखा, मुझे शक हुआ कि वह कभी चॉकलेट खाएगा। मैं ये भी देख सकता था कि उसके पास अब लंबा समय नहीं था और जैसा मेरा अनुमान था वैसा ही हुआ। शारीरिक रूप से, वह अपने पुराने जीवन की परछाई मात्र था। वो सांस ले रहा था लेकिन बस नाम के लिए। और फिर जब मैंने अपने पुराने दोस्त को कुछ पलों के लिए ध्यान से देखा तो, मुझे एहसास हुआ कि उसके कमजोर शरीर के भीतर महान विश्वास का गरजता हुआ शेर था। उस क्षण मैंने देखा, कि मेरा मित्र किसी भी संदेह की छाया से परे ये जानता था, कि वह अपने उद्धारकर्ता की उपस्थिति में अनन्त जीवन की ओर अग्रसर हो रहा है।
यूहन्ना 11:25,26 येशु ने कहा, “पुनरुत्थान और जीवन मैं हूँ। जो मुझ में विश्वास करता है, वह मरने पर भी जीवित रहेगा 26और जो जीवित है, तथा मुझ में विश्वास करता है, वह कभी नहीं मरेगा। क्या तुम इस बात पर विश्वास करती हो?”
मार्था विश्वास करती थी। मेरे पुराने दोस्त जॉन ने भी विश्वास किया। सवाल है, क्या आप प्रभु येशु पर विश्वस करते हैं?
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए… ।