बिना शिकायत के आनंद लें
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फिलिप्पियों 2:14,15 सब काम बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो। 15 ताकि तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्कलंक सन्तान बने रहो, (जिन के बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों की नाईं दिखाई देते हो)।
आप जानते हैं कि यह कैसा है। आपके जीवन की सभी महत्वपूर्ण चीजों में से – आपके रिश्ते, स्वास्थ्य, वित्त, यानि दस में से नौ ठीक-ठाक चल रहे हैं। लेकिन एक बात है, जो आपको बहुत दु:ख दे रही है।
और आप जानते हैं कि यह कैसे होता है, है ना ?! हम उस एक चीज के बारे में बुड़बुड़ाते और शिकायत करते रहते हैं, जैसे कि हम पूरी तरह से अंधे हैं, हमारे जीवन में दस में से नौ चीजों के लिए हम पूरी तरह से अंधे हैं जो बहुत अच्छी तरह से चल रहे हैं। तो हम ये क्यों करते हैं? मानव स्वभाव, मुझे लगता है।
तो यह चेहरे पर एक तमाचे की तरह लगता है, जब आप यीशु को देखते हैं और महसूस करते हैं कि उन्होंने अपने जीवन के बारे में एक बार भी शिकायत नहीं की। ज़रूर, कभी-कभी उसने अपने चेलों को चिताया। कई बार उसने अपने समय के धार्मिक नेताओं की आलोचना की। लेकिन, क्या आप एक ऐसे उदाहरण के बारे में सोच सकते हैं जहां एक भी कर्कश शब्द उसके होठों से अपने बारे मे हो? मैं नहीं सोचता ।
तब भी नहीं जब उसे यहूदा द्वारा धोखा दिया गया , गलत तरीके से आजमाया गया, पीटा गया, गाली दी गई और अंतत: क्रूस पर चढ़ा दिया गया। एक भी नहीं! क्या आपको नहीं लगता कि कभी कभी हम जो भी शिकायत करते हैं, वह बहुत बेमाने और हास्यास्पद है, क्या आपको नहीं लगता?
फिलिप्पियों 2:14,15 सब कुछ बिना कुड़कुड़ाए और बिना विवाद के किया करो, जिस से तुम निर्दोष और पवित्र होकर परमेश्वर के निष्कलंक सन्तान ठहरो।
परमेश्वर के अनुसार, बिना शिकायत या बहस किए हमें क्या करना चाहिए? बिल्कुल सब कुछ! और हमें सब कुछ उसी तरह क्यों करना चाहिए? जिस से हम निर्दोष और पवित्र होकर परमेश्वर की निष्कलंक सन्तान ठहरें।
तो, आज, आइए एक साथ एक रहस्योद्घाटन करें। चीजें चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, चाहे वे कितनी भी अनुचित क्यों न लगें, रोना बंद करो, शिकायत करना बंद करो, बहस करना बंद करो… और आगे बढ़ो!
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए.।