मैं गलत था
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यूहन्ना 13:34,35 मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो॥
हम में से कोई भी कभी भी यह स्वीकार नहीं करता है कि हम गलत हैं … लेकिन हम गलत होते हैं । और कभी-कभी हमारी “गलती ” दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचाती है। और उस समय पर, हमें कुछ कठोर निर्णय लेने होते हैं
यदि आपने कभी भी किशोरों का पालन पोषण किया हैं, तो आप जानते हैं कि इसमें बहुत अधिक धैर्य और समय-समय पर संघर्ष भी शामिल हैं। जब मेरी बेटी एक किशोरी थी, तो मैं जो भी करता था वह उसके लिए गलत ही होता था ।
और यह स्वीकार करना बहुत कठिन होता है कि आप गलत है, खासकर जब आप के पास अधिकार है और इसलिए सबसे आसान काम यह होता है कि इसे नजरंदाज कर दें। इसके बारे में भूल जाए और आगे बढ़ जाएँ ।
लेकिन जितनी देर आप इसको छोड़ते हैं, उतनी ही संभावना है कि यह रिश्ता और खराब होता जाएगा। इसलिए मैं ने अपना अभिमान निगल कर , उसे पुचकारा, माफी मांगी और कहा बेटा मुझे माफ कर दो ।
शायद यह मेरे बस की बात नहीं है, लेकिन ऐसा करना आसान नहीं है। इसके लिए यीशु ने कहा:
यूहन्ना 13:34,35 मैं तुम्हें एक नई आज्ञा देता हूं, कि एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है, वैसा ही तुम भी एक दुसरे से प्रेम रखो। यदि आपस में प्रेम रखोगे तो इसी से सब जानेंगे, कि तुम मेरे चेले हो॥
अगर हम कहते हैं कि हम किसी से प्यार करते हैं, तो हम उस रिश्ते को नहीं छोड़ सकते, उस व्यक्ति को, जिसे हमने अपनी गलती से दुख पहुंचाया है।
अगर हम कहते हैं कि हम किसी से प्यार करते हैं, तो हमें चीजों को सही करना होगा।
प्यार एक क्रियात्मक शब्द है। और कुछ भी यीशु से अधिक शक्तिशाली रूप से नहीं बोलता है जब हम कठिन परिस्थितियों में यीशु का प्यार दिखाते हैं …इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह कितना मुश्किल है, या यह हमारे लिए कितना महंगा हो सकता है।
एक दूसरे से प्रेम रखो: जैसा मैं ने तुम से प्रेम रखा है
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।