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Berni - ceo, Christianityworks

यह कैसे सम्भव हो सकता है?

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यूहन्ना 3:9,14,15 निकोदेमुस ने उन से पूछा, “यह कैसे हो सकता है?” 14जिस तरह मूसा ने निर्जन प्रदेश में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव-पुत्र का भी ऊपर उठाया जाना अनिवार्य है, 15जिससे जो कोई विश्‍वास करता है, वह उसमें शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त करे।

यीशु में विश्वास करने के शुरुआती दिनों में मेरे मन में हमेशा यह सवाल कौंधता था, कि: परमेश्वर के साथ मेरे रिश्ते में यीशु क्यों जरूरी है? क्रिसमस क्यों, ईस्टर क्यों? क्यों?

नमस्कार, मैं क्रिस्टोफ़र सिंह हूं और ताज़ा कार्यक्रम में फिर से आपका स्वागत है।

इस तरह के सवाल पूछना अच्छा है।

यूहन्ना 3:9,14,15 निकोदेमुस ने उन से पूछा, “यह कैसे हो सकता है?” 14जिस तरह मूसा ने निर्जन प्रदेश में साँप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव-पुत्र का भी ऊपर उठाया जाना अनिवार्य है, 15जिससे जो कोई विश्‍वास करता है, वह उसमें शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त करे।

इस बिंदु पर, नीकुदेमुस का ध्यान गिनती की पुस्तक, उसके 21 वे अध्याय पर चला गया। इस्राएल ने परमेश्वर को त्याग दिया था इसलिए उसने उनके खिलाफ सांपों की एक विपत्ति को भेजा। सापों के काटने से कई लोग मर गए। परन्तु मूसा ने इस्राएल की ओर से पश्‍चाताप किया, इसलिए परमेश्वर ने उसे एक पीतल का साँप बनाने और उसे एक डंडे पर रखने की आज्ञा दी, ताकि यदि कोई सांप किसी को डसता है, तो उन्हें केवल पीतल के साँप को देखने की आवश्यकता होगी और वे जीवित रहेंगे। कोई अस्पताल नहीं, कोई दवा नहीं। सापों को मारने के लिए पुरुषों का कोई दल नहीं भेजा गया। नहीं! जीवित रहने के लिए उन्हें केवल देखने और विश्वास करने की जरूरत थी।

और उसी तरह यीशु हमारे पाप को अपने ऊपर ले लेते हैं। वास्तव में सांप बनकर, हमारी ओर से पाप बनते हुए उस क्रूस पर, उस खंभे पर लटक जाते हैं। और नया जन्म लेने के लिए हमें केवल इतना करना है कि किसी स्वयं सहायता कार्यक्रम पर ना जा कर, बल्कि यीशु को देखना और उस पर विश्वास करना है। वास्तव में, जितना अधिक हम मसीह और उसे सूली पर चढ़ाए हुए देखते हैं, उतना ही अधिक पश्चाताप हमारे हृदयों में उमड़ता है, और उतना ही अधिक आत्मा हमारे जीवनों में भर कर उसे नया बनाता जाता  है।

नया जन्म लेने का यही एकमात्र तरीका है। परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करने का यही एकमात्र तरीका है। तो मैं आपसे पूछता हूं, क्या आप फिर से पैदा हुए हैं?

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए..।