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अय्यूब पर वापस

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अय्यूब 23:10-12 किन्‍तु वह मेरा मार्ग भली-भांति जानता है; जब वह मुझे परख लेगा तब मैं कंचन जैसा शुद्ध प्रामाणित हूँगा। 11‘मेरे पैर उसके मार्ग में स्‍थिर रहे; मैं बिना भटके उसी के मार्ग पर चलता रहा। 12मैं उसकी आज्ञा का पालान करने से कभी विचलित नहीं हुआ; मैंने उसके वचनों को अपने हृदय में सदा सुरक्षित रखा।

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अय्यूब पर वापस


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जब सब कुछ अच्छा चल रहा हो तो अपने भविष्य के बारे में आशामय रहना आसान है। लेकिन जब ऐसा नहीं होता है, तो निराशा, उदासीनता की भावना भी आ सकती है। और ईमानदारी से सोचें, तो यह भावनाएं हालात को और भी बदतर बना देतीं हैं।

कुछ दिन पहले, हमने पुराने नियम के चरित्र, अय्यूब के बारे में बातचीत की, जो कई हताशापूर्ण मुसीबतों से गुजरा, लेकिन उसने कभी भी परमेश्वर को दोष नहीं दिया। कई बार उसकी पीड़ा सहनशक्ति से बाहर हो गई होगी। कई बार उसके आँसू भी बहे होंगे। 

परन्तु वह कह सका: ; यहोवा ने दिया और यहोवा ही ने लिया; यहोवा का नाम धन्य है।
और अपनी दौलत, अपनी सामाजिक हैसियत, अपने परिवार, लगभग सब चीजों के नुकसान से उबरने का एक ही तरीका था… उसने कहा:

अय्यूब 23:10-12 किन्‍तु वह मेरा मार्ग भली-भांति जानता है;

जब वह मुझे परख लेगा

तब मैं कंचन जैसा शुद्ध प्रामाणित हूँगा।

11‘मेरे पैर उसके मार्ग में स्‍थिर रहे;

मैं बिना भटके उसी के मार्ग पर चलता रहा।

12मैं उसकी आज्ञा का पालान करने से

कभी विचलित नहीं हुआ;

मैंने उसके वचनों को अपने हृदय में

सदा सुरक्षित रखा।

अय्यूब अपनी पीड़ा से कैसे बच पाया? 

परमेश्वर की आज्ञाओं को सँजो कर, परमेश्वर के वचन को उसकी परिस्थितियों से ऊपर, उसके दर्द से ऊपर, उसके तथाकथित दोस्तों की निंदा और आलोचना से ऊपर… हर चीज से ऊपर रख कर । आप और मैं, जब हम पीड़ित होते हैं, हम परमेश्वर के वचन से दूर चले जाते हैं; हम गलत रवैया अपना लेते हैं और उसकी आज्ञाओं की उपेक्षा करना शुरू कर देते हैं।

लेकिन खजाना…खजाना बहुत मजबूत शब्द है।

मैंने उसके वचनों को अपने हृदय में

सदा सुरक्षित रखा।

और यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए… ।