उनसे तारीफ की उम्मीद ना रखें ।
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सभोपदेशक 7:5 मूर्खों के मुख से गीत सुनने की अपेक्षा बुद्धिमान की डांट-डपट सुनना अच्छा है।
सोचने में चाहे ये अजीब लगे पर ये सच है की , जिस क्षण हम एक अच्छा जीवन जीने के लिए, सही काम करने के लिए, दूसरों से प्रेम करने के लिए, और अपने जीवन की कमजोरियों को दूर करने के लिए, परमेश्वर के करीब आते हैं, उसी क्षण आलोचक भी हमें ढूंढ निकालते हैं।
दुख की बात है कि यह सच है, क्योंकि हम एक भ्रष्ट समाज में रहते हैं। यह सुनने में थोड़ा कठोर लगता है लेकिन अपने चारों ओर देखें कि जो गलत बातें हैं उन्हें बार बार सही बना कर नए नए रूप में हमारे सामने रखा जाता है। अनैतिकता, स्वार्थ, विभाजन, अराजकता, सब कुछ आजकल स्वीकार्य है।
तो जब आप दिल से यीशु के पीछे चलने के लिए उस गंदगी में कदम रखते हैं, खोए हुए लोगों को बचाने की कोशिश करते हैं, तो आप यह कल्पना कैसे कर सकते हैं कि दुनिया आपसे प्रसन्न होगी?
डॉ. डी. जेम्स कैनेडी ने एक बार इसे इस तरह रखा था: सहिष्णुता एक भ्रष्ट समाज का अंतिम गुण है। जब आपके पास एक अनैतिक समाज है जिसने परमेश्वर की सभी आज्ञाओं का खुले तौर पर, गर्व से उल्लंघन किया है, तो एक अंतिम गुण है जिस पर वे जोर देते हैं: उनकी अनैतिकता के लिए सहिष्णुता।
हम पापी से प्रेम करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर सकते हैं, और किसी सीमा तक सफल भी होते हैं। लेकिन यीशु मसीह के अनुयायियों के रूप में हम, अपने दिलों में गलत को सही के रूप में स्वीकार नहीं कर सकते। और इसके परिणामस्वरूप, यीशु में आपके विश्वास के लिए दुनिया आपके खिलाफ हो जाएगी।
यह कठिन हो सकता है, क्योंकि हम सब चाहते हैं की लोग हमें पसंद करें। हमें तकलीफ होती है जब कोई परमेश्वर के पीछे चलने के कारण हमारी आलोचना करता है। आज सोशल मीडिया की दुनिया में इस तरह की कटुता का हमें अक्सर सामना करना पड़ता है।
इसलिए यदि आपने कभी इस तकलीफ का अनुभव किया है, तो होशियार हो जाएं। इस वचन को अपने दिल में उतार लें:
सभोपदेशक 7:5 मूर्खों के मुख से गीत सुनने की अपेक्षा बुद्धिमान की डांट-डपट सुनना अच्छा है।
मूर्ख लोगों से यह अपेक्षा न करें कि वे आपकी प्रशंसा करेंगे। वे नहीं करेंगे। इसके बजाय, बुद्धिमानों के निर्देश को स्वीकार करें।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।