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परमेश्वर का कोमल प्रेम।

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1 यूहन्ना 3:1 पिता ने हमसे कितना महान प्रेम किया है। हम परमेश्‍वर की सन्‍तान कहलाते हैं और हम वास्‍तव में वही हैं। संसार हमें नहीं जानता, क्‍योंकि उसने परमेश्‍वर को नहीं जाना है।

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परमेश्वर का कोमल प्रेम।


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ये दुनिया जिसमें हम रहते हैं, बहुत उबड़-खाबड़ और उथल-पुथल वाली दुनिया है। बिना किसी कारण के आपकी आलोचना जा सकती है। अपर्याप्तता की भावनाएँ मन में उठने लगती हैं और इससे पहले कि आप सतर्क हों, यह झूठ अपना बदसूरत सिर उठाने लगता है की परमेश्वर कभी मुझ से प्रेम नहीं कर सकते।

पिछली बार कब किसी और के क्रूर शब्दों से आपको चोट पहुंची थी – शायद काम पर, या अपने दोस्तों के दायरे में, या फिर घर पर ? यह आप को तोड़ देता है, है ना?

और जितना अधिक ऐसा होता है, उतनी ही अधिक आपकी कमज़ोरियाँ आप पर चिल्लाने लगती हैं कि आप कभी भी, कभी भी, परमेश्वर के लिए पर्याप्त नहीं होंगे। कि वह कभी भी आपसे वे शब्द नहीं कहेंगे, जिन्हें हम सभी सुनने के लिए तरसते हैं: अच्छाकिया, अच्छेऔरवफादारसेवक।

यदि ऐसी भावनाएं आपको अंदर से खा रही हैं, तो आज, पूरे मन से, मुझे विश्वास है कि परमेश्वर स्वयं आपके लिए अपने कोमल प्रेम को आपके हृदय में उंडेलना चाहता है:

1 यूहन्ना 3:1 पिता ने हमसे कितना महान प्रेम किया है। हम परमेश्‍वर की सन्‍तान कहलाते हैं और हम वास्‍तव में वही हैं। संसार हमें नहीं जानता, क्‍योंकि उसने परमेश्‍वर को नहीं जाना है। 

एक बार फिर मुझे परमेश्वर के प्रेम का अहसास तब हुआ जब कुछ समय पहले मैं अपनी बेटी के बच्चों से मिला। जब मैं उन्हें गोद में उठाता हूँ या उनकी बातों को सुनता हूँ तो मेरा मन उनके लिए एक कोमल प्रेम से भर उठता है। मेरे बच्चे अब बड़े हो गए हैं और मैं उनसे बहुत प्यार करता हूँ लेकिन छोटे बच्चे को प्यार करने में कुछ अलग बात है। और अगर मैं, एक पापी, उस तरह से प्यार कर सकता हूं, तो परमेश्वर आपसे कितना अधिक प्यार करते होंगे?

सच तो यह है कि उसने आप से इतना प्यार किया है कि वह आपको ईश्वर की संतान कहता है। उसकी अपनी  संतान।

और यह उसका ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।