उपवास करें या न करें
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मत्ती 6:16-18 जब तुम उपवास करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो। ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा॥
कई लोगों के लिए उनका वजन एक मार्मिक विषय है। यदि आप उन पतले लोगों में से एक हैं तो परमेश्वर आपको आशीष दे । लेकिन हममें से बाकी लोग शायद आपकी तरह नहीं हैं। लोग खुद को खा रहे हैं … और परमेश्वर अद्भुत शरीर में रुचि रखते हैं जो उसने हम में से प्रत्येक दिया है।
इन दिनों भोजन की निरंतर आपूर्ति प्रतीत होती है। लेकिन मुझे पता है कि अभी भी लगभग एक बिलियन लोग भूख से मर रहे हैं, लेकिन दूसरी और कई लोग मोटापे से परेशान हैं
इतनी प्रचुर आपूर्ति में भोजन की उपलब्धि के साथ, समस्या यह है कि हम कभी भी खाना बंद नहीं करते। नतीजतन, हमारे इंसुलिन का स्तर ऊंचा बना रहता है, जिससे की वजन बढ़ता है। यह एक दुष्चक्र है, जो दुख की बात है, इसे हम सामान्य मानते हैं।
इस वास्तविकता के खिलाफ, उपवास का विचार असामन्य लगता है। (निश्चित रूप से हमें खुद को “भूखा” नहीं रखना चाहिए!) और परमेश्वर उपवास के बारे में बहुत कुछ कहता हैं। बाइबल मे लिखा है -!
मत्ती 6:16-18 जब तुम उपवास करो, तो कपटियों की नाईं तुम्हारे मुंह पर उदासी न छाई रहे, क्योंकि वे अपना मुंह बनाए रहते हैं, ताकि लोग उन्हें उपवासी जानें; मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना प्रतिफल पा चुके। परन्तु जब तू उपवास करे तो अपने सिर पर तेल मल और मुंह धो। ताकि लोग नहीं परन्तु तेरा पिता जो गुप्त में है, तुझे उपवासी जाने; इस दशा में तेरा पिता जो गुप्त में देखता है, तुझे प्रतिफल देगा॥
जी हाँ, अच्छे रवैये के साथ उपवास करना, परमेश्वर के निकट आने का एक बढ़िया तरीका है। लेकिन हम यह भी जानते हैं कि प्रचुर मात्रा में भोजन और निरंतर भोजन के इस युग में, यह किसी भी मायने मे अधिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है।
परमेश्वर का प्राचीन ज्ञान कभी भी पुराना नहीं होता।
यही उसका ताज़ा वचन है। आज आपके लिए…।