एक महान हृदय
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नीतिवचन 28:27 जो निर्धन को दान देता है उसे घटी नहीं होती, परन्तु जो उस से दृष्टि फेर लेता है वह शाप पर शाप पाता है।
मुझे सच बताइये जब मैं “गरीबी”, “भूख”, “भुखमरी” जैसे शब्दों का उपयोग करता हूं, तो क्या वे आपके लिए वास्तविक हैं, या वे कुछ दूर की अवधारणा हैं, जिनके बारे में शायद प कभी भी नहीं सोचते ?
कई साल पहले, मैं भारत में एक मसीही सम्मेलन में दोपहर का भोजन कर रहा था। मुझे भारतीय भोजन पसंद है, लेकिन पूरे सप्ताह तेज़ मिर्च का खाना खाकर मेरा दिल कुछ भर सा गया था और उसकी नवीनता निश्चित रूप से खत्म हो गई थी।
यह मेरे कनाडाई दोस्त बॉब के लिए और भी बुरा था, जिनके मुंह में मानो आग सी लग गई थी । और यह मिर्ची वाला भोजन उसके लिए हत्यारा था।
एक दिन बॉब और मैं बांग्लादेश के एक युवक बरुन के बगल में बैठे थे। वह अपने भोजन को मजे लेकर खा रहा था तो हमने उससे पूछा, ” तुम बांग्लादेश में घर पर क्या खाते हो?”
उसने कुछ रुककर उत्तर दिया, “मेरी पत्नी और हमारे दो बच्चे, हम ज्यादातर चावल खाते हैं। लेकिन कभी-कभी जब हमारे पास पर्याप्त नहीं होता तो हम खाना नहीं खाते। ”
मैं यह सुन कर स्तब्ध रह गया और उस भावना को मैं कभी नहीं भूलूंगा। मुझे इस बात का विश्वास नहीं हुआ हुआ कि कई बार वह, उसकी पत्नी और उसके बच्चे खाना नहीं खा पाते हैं
उस समय तक गरीबी मेरे लिए एक सोच थी। लेकिन अब इसमें एक मानवीय चेहरा जुड़ गया था। अब मुझे उसके बच्चों के खाली पेट नजर आ रहे थे
नीतिवचन 28:27 जो निर्धन को दान देता है उसे घटी नहीं होती, परन्तु जो उस से दृष्टि फेर लेता है वह शाप पर शाप पाता है।
यह परमेश्वर, एक दयावान परमेश्वर है जो गरीबों के लिए एक बड़ा दिल रखता है।
और मैं आपसे एक बात कहता हूँ कि जब तक हम उस दिल को नहीं अपनाएंगे , जब तक हम इसके बारे में कुछ नहीं करेंगे, हम परमेश्वर के लोग होने का दावा नहीं कर सकते ?
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।