जब सहना अच्छा होता है
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1 पतरस 3:17 क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।
दुख एक ऐसा विषय है जिस पर मैं बार-बार विचार करना पसंद करता हूं, यह मेरी और आपकि शिक्षा और विकास दोनों में, सहायक है -क्योंकि परमेश्वर दुख की उस जगह में ही हमारे पास सबसे बड़ा अवसर देता है ।
कोई भी एथलीट आपको बताएगा कि जब वे प्रशिक्षण ले रहे होते हैं तो उन्हें बहुत पीड़ा होती है। मसल्स बनाने में दर्द होता है। सहनशक्ति बड़ाने में दर्द होता है। लेकिन उनके लिए, यह एक उद्देश्य से पीड़ित है। यह अपने खेल में बेहतर, तेज, होशियार, और अधिक कुशल बनने के लिए है। इसलिए वे पीड़ा सहन करते हैं।
और हमारे जीवन में भी यही सच है। हम जानते हैं कि वह कठिन समय परमेश्वर के लिए हमारे चरित्र को ढालने का सबसे बड़ा अवसर है; हमें यह सिखाने के लिए कि हम उस पर कैसे भरोसा करें; हमारे खुरदरे किनारों को चिकना करने के लिए ताकि हम अधिक से अधिक यीशु की तरह दिखें।
लेकिन – एक ‘लेकिन’ होना ही था, है ना? – अक्सर सभी कष्टों में अन्याय शामिल होता है और यह अन्याय हमारे अहंकार को पैदा करता है। वह अन्याय हमें एक बुरा रवैया देता है और वहीं, किसी भी लाभ को रोकता है जो परमेश्वर हमारे चरित्र में हमारे दुखों के माध्यम से देना चाहता है – घमंड हमेशा परमेश्वर की अच्छी बातों को रोकता है, !
तो, अगर आपके जीवन में ऐसा होता है, तो सुनिए बाइबल क्या कहती है :
1 पतरस 3:17 क्योंकि यदि परमेश्वर की यही इच्छा हो, कि तुम भलाई करने के कारण दुख उठाओ, तो यह बुराई करने के कारण दुख उठाने से उत्तम है।
पतरस ने ये शब्द उन मसिहियों को लिखे जो यीशु में अपने विश्वास के लिए भयानक और अन्यायपूर्ण तरीके से कष्ट उठा रहे थे। यदि परमेश्वर आप पर दुखों का मौसम लाता है, यदि वह यही चाहता है, तो खुशी से सहें। एक अच्छे दिल और एक अच्छे रवैये से, चाहे वह कितना ही अन्यायपूर्ण क्यों न लगे… क्योंकि परमेश्वर कुछ अच्छा करने के लिए तैयार है।
यह उसका ताज़ा वचन है। आज आपके लिए…