जल पीयें ।
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यूहन्ना 7:37,38 पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी’
क्या आप कभी एक सुबह जागे हैं, और आपने मसीह में अपने विश्वास को एकदम सूखा हुआ, जितना आप जानते हैं कि उसे होना चाहिए उससे बहुत कम पाया है? निश्चित रूप से आपके साथ ऐसा हुआ है – मेरे साथ भी! अब सवाल है… इस बारे में क्या किया जाए?
मुझे नहीं पता कि आपका जीवन कैसा चल रहा है, लेकिन मेरे लिए, कभी-कभी जीवन इतना व्यस्त हो जाता है, आप इतना थक जाते हैं कि यीशु के साथ जो कभी एक समृद्ध, जीवंत, गतिशील संबंध था (और अभी भी होना चाहिए) नियमित सा हो जाता है, सांसारिक, सूखा हुआ।
आपने कभी ऐसा चाहते नहीं थे। आपने ऐसा करने का प्रयास भी नहीं किया। लेकिन जीवन के पास आपको निचोड़ने का एक अजीब तरीका है जब तक कि परमेश्वर के साथ आपके संबंध शुष्क और टूटे हुए नहीं हो जाते – या कम से कम, ऐसा लगता है।
और परिणामस्वरूप, वह आनंद जो आपने एक बार प्राप्त किया था धुएं की तरह उड़ जाता है। जो काम आप कभी उसके नाम पर करने में सक्षम थे, जैसे परमेश्वर द्वारा दिए दान का प्रयोग करना, अपने आसपास के लोगों की सेवा करना, कठिन से कठिन होता जाता है। यहाँ कुछ करने की आवश्यकता है … यीशु ने कहा –
यूहन्ना 7:37,38 पर्व के अंतिम दिन, जो मुख्य दिन है, यीशु खड़ा हुआ और पुकार कर कहा, “यदि कोई प्यासा हो तो मेरे पास आए और पीए। 38जो मुझ पर विश्वास करेगा, जैसा पवित्रशास्त्र में आया है, ‘उसके हृदय में से जीवन के जल की नदियाँ बह निकलेंगी’
उस सूखे पुराने स्थान में आपकी प्यास का उत्तर, स्वयं यीशु है। क्या आप प्यासे हैं? उसके पास आएं और पिएं… जीवन जल का ऐसा गहरा घूंट, जो न केवल आपको संतुष्ट करे, लेकिन जब तक आप में उसकी आत्मा इतनी अधिक न हो जाए, कि वह बहुतायत से आप के अंदर से छलकने लगे।
जैसा कि किसी ने एक बार कहा था, यीशु का एक घूंट नदी ही नहीं बल्कि नदियाँ बन जाता है। यीशु के पास आएं और पिएं।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए… ।