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जीवन उचित नहीं है

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इफिसियों 2:8,9 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे।

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जीवन उचित नहीं है


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मैं नहीं जानता कि क्या आपने कभी इसके बारे में इस तरह से सोचा है, लेकिन यह संपूर्ण अनुग्रह की बात … अविश्वसनीय रूप से अनुचित लगती है। यह अन्यायपूर्ण है। यीशु, बिल्कुल निर्दोष मेरे और आपके पाप की कीमत देने के लिए मर गया  यदि वह अनुचित नहीं है, तो मुझे नहीं पता कि क्या है!

कभी-कभी जीवन बस उचित नहीं लगता । कोई कुछ करता है और जो कीमत उन्हे चुकानी थी उस चीज़ की  कीमत कोई और चुकाता है और यह वास्तव में अनुचित है!

यह जीवन भर ही होता है। चीजें कभी-कभी अनुचित होती हैं और जब हम गलत छोर पर होते हैं, तो हम इससे पूरी तरह से नफरत करते हैं। क्यूंकी यह अन्याय लगता हैं। यह सही नहीं है। ऐसा नहीं होना चाहिए।

इसलिए एक मिनट के लिए कल्पना करें कि आप परमेश्वर हैं। बेशक आप पूरी तरह से न्याय कि ओर हैं, क्योंकि वह  परमेश्वर की प्रवर्ती है। सही सही है और गलत गलत है। लेकिन फिर आप और मैं  कुछ ऐसे लोगों को देखते हैं जिन्हें आप वास्तव में प्यार करते हैं।

न्याय की आपकी भावना कहती है, “उन्होंने मुझे अस्वीकार कर दिया है। वे अनंत जीवन के लायक नहीं हैं। ” लेकिन आपके पिता का दिल कहता है, “मैं उनसे बहुत प्यार करता हूँ। मैं चाहता हूं कि वे मेरे साथ अनंत काल बिताएं। ”

यह परमेश्वर की दुविधा है … तो वह क्या करता है?

खैर, वह पूरी तरह से कुछ अनुचित करता है। वह अपने बेटे यीशु को आपकी और मेरी जगह मरने के लिए भेजता है, हमारे विद्रोह की कीमत चुकाने के लिए, हमारी अस्वीकृति के बदले … और जब आप और मैं यीशु पर विश्वास करते हैं – तो बस – वह हमारे लिए स्वर्ग के द्वार खोलता है।

इतना अनुचित काम  परमेश्वर इसे अनुग्रह कहते हैं।

इफिसियों 2:8,9 क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है। और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे।

यह  परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।


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