जीवन की रोटी मैं हूँ
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यूहन्ना 6:35 उन्होंने उत्तर दिया, “जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।
भूखा रहना कोई मजेदार बात नहीं है। क्या आप कभी ऐसी सभा या meeting में बैठे हैं जिससे आप बाहर नहीं निकल सकते हैं, या ऐसी स्थिति में हैं जहां भोजन उपलब्ध नहीं है, और आपका पेट भूख के मारे शोर मचा रहा है? जी नहीं। यह मज़ेदार स्थिति नहीं है।
जिन चीजों को मैंने अपनी जीवनशैली में शामिल किया है, उनमें से एक है समय समय पर उपवास करना। अपने शरीर को भोजन से विश्राम देना स्वास्थ्य के लिए अच्छा है। यह स्वास्थ्य में सुधार और वास्तव में, आपके जीवनकाल को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। और एक बार यह आदत बन जाने के बाद, आपका शरीर को इसकी आदत हो जाती है और आपको बिल्कुल भी भूख नहीं लगती है।
लेकिन एक उपवास के अंत में, अच्छा, स्वस्थ, पौष्टिक भोजन खाने से ज्यादा आनंददायक, संतोषजनक,और कुछ भी नहीं है।
उपवास रखने का अब तक का सबसे लंबा रिकॉर्ड 27 वर्षीय स्कॉटलैंड वासी एंगस बारबेरी का था, जो इतना अधिक मोटा था कि वह बिस्तर से उठ भी नहीं पाता था। उसने डाक्टरों की देख रेख में सिर्फ पानी, विटामिन और थोड़े से खमीर पर 382 दिनों के लिए उपवास किया। हम लंबे समय तक भोजन के बिना रह सकते हैं, लेकिन अंततः हम सब को भोजन चाहिए।
यहाँ एक बात मुझे परेशान करती है। इतने सारे लोग जो यीशु पर विश्वास करते हैं, आध्यात्मिक रूप से उपवास कर रहे हैं। जबकि शारीरिक उपवास के बहुत सारे लाभ हैं, आध्यात्मिक उपवास, परमेश्वर से दूर रहना, यीशु से दूर रहना, बिल्कुल भी मतलब नहीं रखता। इन लोगों के जीवन में प्रार्थना का स्थान ना के बराबर होता है, वे कभी भी परमेश्वर को अपना वचन बोलते हुए नहीं सुनते हैं और उन्हें आश्चर्य होता है कि वे आत्मिक रूप से भूखे क्यों मर रहे हैं। एक मसीही होने के नाते परमेश्वर उनके जीवन में काम क्यों नहीं कर रहा। ऐसा क्यों है।
यूहन्ना 6:35 तब यीशु ने कहा, “जीवन की रोटी मैं हूँ। जो मेरे पास आता है, उसे कभी भूख नहीं लगेगी और जो मुझ में विश्वास करता है, उसे कभी प्यास नहीं लगेगी।
यीशु वह है जो जीवन देता है। इसलिए जब आपको लगे कि आप आत्मिक रूप से भूखे मर रहे हैं, तो उसके पास जाइए। वह जीवन की रोटी है।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए..।