जीवित या मृत
We're glad you like it!
Enjoying the content? You can save this to your favorites by logging in to your account.
रोमियों 14:8 रोमियों तो प्रभु के लिये जीवित हैं; और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिये मरते हैं; सो हम जीएं हम प्रभु ही के हैं।
भले ही हम सभी ने अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना किया हो, ऐसी त्रासदियां जो हम अपने दुश्मन पर भी नहीं चाहते थे, मुझे लगता है कि हम में से अधिकांश के लिए यह कहना उचित है कि हम अपने जीवन की अदला-बदली नहीं करेंगे, किसी भी चीज के लिए।
मुझे पता है कि कभी कभी, हम कामना करते हैं कि हम कभी पैदा ही नहीं होते। लेकिन जब हम पीछे हटकर देखते हैं तो विपरीत परिस्थितियों में भी, जीवन में एक वास्तविक समृद्धि है। और अच्छे समय में, आगे देखने के लिए बहुत कुछ है।
कुछ साल पहले मुझे याद है, मेरी पत्नी और मैं एक विदेशी छुट्टी पर जाने से पहले, जिसका हम सालों से इंतजार कर रहे थे, मैंने अपने मन मे सोचा, “मुझे आशा है कि जब तक हम वापस नहीं आ जाते , तब तक प्रभु वापस आने का फैसला नहीं करेंगे। ।” मैं इस विचार पर आज भी हंसता हूं, लेकिन आप सोच सकते हैं ।
अब हम एक कदम और आगे बड़ें तो जीवन मे कई जोखिम है लेकिन फिर भी हम इस धरती पर ही रहना चाहते हैं । हम अपने जीवन को सबसे ऊपर महत्व देते हैं, जबकि हम निश्चित रूप से जानते हैं कि एक दिन, यह समाप्त हो जाएगा।
और यह हमारे जीने के तरीके को प्रभावित करता है। क्योंकि हम केवल अपने लिए अपना जीवन जीना चाहते है। उसमें स्वार्थ पनपता है, वह न केवल अस्वस्थ है, बल्कि जब भी हम ईश्वर से पहले कुछ भी रखते हैं, भले ही वह हमारा अपना जीवन ही क्यों न हो, उसका एक नाम है। और इसे कहते हैं, मूर्तिपूजा।
तो बस अगर आप उस मानसिकता में गिर गए हैं, और यह सब करना बहुत आसान है, तो यहां एक चेतावनी है: बाइबल मे लिखा है
रोमियों 14:8 क्योंकि यदि हम जीवित हैं, तो प्रभु के लिये जीवित हैं; और यदि मरते हैं, तो प्रभु के लिये मरते हैं; सो हम जीएं या मरें, हम प्रभु ही के हैं।
अपना जीवन मसीह के लिए जियो, अपने लिए नहीं।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।