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Berni - ceo, Christianityworks

परमेश्वर से वार्तालाप

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व्यवस्थाविवरण 6:4-9 हे इस्राएल, सुन, यहोवा हमारा परमेश्वर है, यहोवा एक ही है; तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और सारे जीव, और सारी शक्ति के साथ प्रेम रखना।  और ये आज्ञाएं जो मैं आज तुझ को सुनाता हूं वे तेरे मन में बनी रहें; और तू इन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना, और घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना। और इन्हें अपने हाथ पर चिन्हानी करके बान्धना, और ये तेरी आंखों के बीच टीके का काम दें। और इन्हें अपने अपने घर के चौखट की बाजुओं और अपने फाटकों पर लिखना॥

जब आप एक कप कॉफी या भोजन पर दोस्तों और परिवार के साथ मिलते हैं, तो  आप किस बारे में बात करते हैं? मेरा मतलब है, पिछली बार जब आपने लोगों के साथ मेलजोल किया, तो चर्चा का मुख्य विषय क्या था?

चलिए मैं आपके सामने एक विचार रखता हूं, यह देखने के लिए कि आप क्याइस बारे मे क्या सोचते हैं। हमारे लिए एक दूसरे के साथ दिन-प्रतिदिन की बातचीत में परमेश्वर को भूलना बहुत आसान है। हम इसके और उसके बारे में बात करते हैं, – लेकिन हम कभी परमेश्वर के बारे में बात नहीं करते । हमारे पास शायद परमेश्वर -वार्तालाप के लिए कभी समय नहीं है।

और जितना अधिक हम इधर उधर कि बातचीत करते हैं उतने ही अधिक हम इसमे डूबते जाते हैं … और हम भूल जाते हैं कि परमेश्वर कितना अद्भुत है, यह अदृश्य, पराक्रमी ईश्वर वास्तव में हमारे यहां और अभी में कितनी अधिक रुची रखता है। शायद इसीलिए उसने मूसा के द्वारा अपने लोगों को यह आज्ञा दी:

व्यवस्थाविवरण 6:4-9 हे इस्राएल के लोगो, सुनो ! यहोवा हमारा परमेश्वर है। केवल यहोवा ही परमेश्वर है। तू अपने परमेश्वर यहोवा से अपने सारे मन, और अपने सारे प्राण, और अपनी सारी शक्ति से प्रेम रखना। इन आज्ञाओं को सदा याद रखो जो मैं आज तुम्हें देता हूं। उन्हें अपने बाल-बच्चों को समझाकर सिखाया करना । इन आदेशों के बारे में बात करना जब आप अपने घर में बैठते हैं और जब आप सड़क पर चलते हैं। जब आप लेटें और जब उठें, उनके बारे में बात करना – उन्हें अपने हाथों पर बाँधो और मेरे उपदेशों को याद रखने में मदद करने के लिए उन्हें अपने माथे पर धारण करो। उन्हें अपने घरों की चौखटों और अपने फाटकों पर लिख लेना।

जब आप यहाँ परमेश्वर की कही हुई बातों को अपनाते हैं, तो आप जानते हैं कि इसका आपके यहाँ और अभी से क्या संबंध है? अपने विचारों और बातचीत में, आप अपने जीवन में परमेश्वर को कितना शामिल करते हैं?

घर में बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए.।