भविष्य के लिए विश्वास ।
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इब्रानियों 11:13-16 प्रतिज्ञा का फल पाये बिना ये सब विश्वास करते हुए मर गये। परन्तु उन्होंने उसको दूर से देखा और उसका स्वागत किया। वे अपने को पृथ्वी पर परदेशी तथा प्रवासी मानते थे। 14जो इस तरह की बातें कहते हैं, वे यह स्पष्ट कर देते हैं कि वे स्वदेश की खोज में लगे हुए हैं। 15यदि उस देश की बात सोचते जो वे पीछे छोड़ आए थे तो उन्हें वहाँ लौटने का अवसर था। 16पर नहीं, वे तो एक उत्तम स्वदेश अर्थात् स्वर्ग की खोज में लगे हुए थे; इसलिए परमेश्वर को उन लोगों का परमेश्वर कहलाने में लज्जा नहीं होती। उसने तो उनके लिए एक नगर का निर्माण किया है।
क्या आपने कभी ऐसा महसूस किया है कि परमेश्वर के वादे आप को छोड़ चुके हैं? आप उनके वादों पर अडिग रहना चाहते हैं, लेकिन कहीं समस्याओं के बीच, वे लगभग गायब हो गए हैं। यह सच है, और मैं आपको बता दूँ की इसमें आप अकेले नहीं हैं।
और इसका एक कारण है। आप और मैं, हमारी मानवीय कमजोरियों के बीच, गहराई से विश्वास करना चाहते हैं कि परमेश्वर के वादे हमारे चारों ओर घूमते हैं। कि उन्हें हमारे समय की सीमा में फिट होना चाहिए। यहाँ तक कि हमारे जीवन में भी। लेकिन अगर हम इस सब से एक पल के लिए थोड़ा पीछे हट कर देखें, तो हमें एहसास होगा कि परमेश्वर जिसके लिए एक हजार साल एक दिन के समान है, इस तरह काम नहीं करता है।
और फिर भी हम पीछे नहीं हटते। यही हमारी गलती है। तो चलिए फिर से ध्यान देते हैं। आइए देखें “परमेश्वर की प्रतिज्ञाएँ” उसके दृष्टिकोण से:
इब्रानियों 11:13-16 प्रतिज्ञा का फल पाये बिना ये सब विश्वास करते हुए मर गये। परन्तु उन्होंने उसको दूर से देखा और उसका स्वागत किया। वे अपने को पृथ्वी पर परदेशी तथा प्रवासी मानते थे। 14जो इस तरह की बातें कहते हैं, वे यह स्पष्ट कर देते हैं कि वे स्वदेश की खोज में लगे हुए हैं। 15यदि उस देश की बात सोचते जो वे पीछे छोड़ आए थे तो उन्हें वहाँ लौटने का अवसर था। 16पर नहीं, वे तो एक उत्तम स्वदेश अर्थात् स्वर्ग की खोज में लगे हुए थे; इसलिए परमेश्वर को उन लोगों का परमेश्वर कहलाने में लज्जा नहीं होती। उसने तो उनके लिए एक नगर का निर्माण किया है।
परमेश्वर के वादे इतने बड़े हैं, किसी भी चीज़ से इतने बेहतर हैं कि जिन्हे हम अपने संकीर्ण दृष्टिकोण से नहीं देख सकते। उसके वादों को समझने की कुंजी यही है। उसके वादों में जीने की कुंजी भी यही है। अपने दृष्टिकोण को संकीर्ण ना होने दें।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज … आपके लिए…।