मैं कैसा अंधा मूर्ख हूँ
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भजन संहिता 19:12,13 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 13तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वे मुझ पर प्रभुता करने न पाएँ! तब मैं सिद्ध हो जाऊँगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूँगा।
हम में से कोई भी यह स्वीकार नहीं करना चाहता, कि हमारे जीवन में निश्चित रूप से एक अंधा स्थान है, जो हमारी आत्मा की गहराई में बसा है, और जो हमारे जीवन को बर्बाद कर रहा है। हम में से एक भी नहीं।
हमारा अभिमान हमारे अंधे कोनों से निपटना कठिन बना देता है। कुछ लोग अंदर की गहरी चोट को छिपाने के लिए बहादुरी भरा चेहरा पहन लेते हैं। अन्य लोग यह जानते हुए कि उनके भीतर कुछ ठीक नहीं है, अपने चारों ओर एक दीवार खड़ी कर लेते हैं। फिर चाहे वे इसे कोई नाम ना दे पायें ।
और जिस कारण से हम इन अंधे कोनों पर अपनी उंगली नहीं रख पाते हैं, वह यह है कि ब्लाइंड स्पॉट या अंधे कोने एक ऐसी समस्या है जिसे हम वास्तव में अपने आप नहीं देख पाते हैं। इन अंधेरे कोनों और उनके अक्सर विनाशकारी परिणामों से निपटने रास्ता यह है कि कोई और उन पर प्रकाश चमकाए, उन्हें हमारे सामने प्रकट करे।
लेकिन ऐसा होने से पहले, हमें यह स्वीकार करते हुए खुद को विनम्र करने की जरूरत है कि हमारे जीवन में कुछ गलत है और हम इसके बारे में कुछ भी करने के लिए शक्तिहीन हैं। राज्य दाऊद ने परमेश्वर से अपनी प्रार्थना में इसे इस प्रकार रखा है:
भजनसंहिता 19:12,13 अपनी भूलचूक को कौन समझ सकता है? मेरे गुप्त पापों से तू मुझे पवित्र कर। 13तू अपने दास को ढिठाई के पापों से भी बचाए रख; वे मुझ पर प्रभुता करने न पाएँ! तब मैं सिद्ध हो जाऊँगा, और बड़े अपराधों से बचा रहूँगा।
वास्तव में, वह न केवल ये स्वीकार करता है कि वह एक अंधा मूर्ख है, बल्कि वह लगातार अपने गुप्त पाप में न फंसने की इच्छा भी व्यक्त कर रहा है। परमेश्वर से उस की यह विनती है: यदि आप मेरी मदद करते हैं, तो मैं शुद्ध और पाप से मुक्त हो सकता हूं।
और ठीक यही परमेश्वर आपके लिए भी चाहता है। इसकी शुरुआत बदलाव की इच्छा से होती है। इसका आरंभ एक खुले, और विनम्र हृदय से होता है।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।