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आत्म-पूजा का परिणाम

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यशायाह 14:13-19 तू मन में कहता तो था कि मैं स्वर्ग पर चढूंगा; मैं अपने सिंहासन को ईश्वर के तारागण से अधिक ऊंचा करूंगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर बिराजूंगा;
14 मैं मेघों से भी ऊंचे ऊंचे स्थानों के ऊपर चढूंगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊंगा।
15 परन्तु तू अधोलोक में उस गड़हे की तह तक उतारा जाएगा।16 जो तुझे देखेंगे तुझ को ताकते हुए तेरे विषय में सोच सोचकर कहेंगे, क्या यह वही पुरूष है जो पृथ्वी को चैन से रहने न देता था और राज्य राज्य में घबराहट डाल देता था;17 जो जगत को जंगल बनाता और उसके नगरों को ढा देता था, और अपने बंधुओं को घर जाने नहीं देता था?18 जाति जाति के सब राजा अपने अपने घर पर महिमा के साथ आराम से पड़े हैं;19 परन्तु तू निकम्मी शाख की नाईं अपनी कबर में से फेंका गया; तू उन मारे हुओं की लोथों से घिरा है जो तलवार से बिधकर गड़हे में पत्थरों के बीच में लताड़ी हुई लोथ के समान पड़े है।

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आत्म-पूजा का परिणाम


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कल हमने इस अनुचित दावे की खोज की कि आत्म-प्रशंसा दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता धर्म है। ऐसा लगता है कि हर कोई “सेल्फी” ले रहा है। और इसका परिणाम भयानक हो सकता हैं।

निश्चित रूप से, हम सभी अपना सर्वश्रेष्ठ भाग आगे रखना चाहते हैं, ताकि दूसरे हमारे बारे में अच्छा सोचें। लेकिन इन दिनों, सोशल मीडिया से प्रेरित होकर, हम इस आत्म-प्रचार की बात को खतरनाक चरम पर ले गए हैं।

और भले ही आप सोशल मीडिया में न हों, क्योंकि हम अपने अधिकारों, अपनी भावनाओं, अपने विचारों पर अधिक से अधिक जोर देते हैं  इसलिए हम सोच सकते है ..कि  मैं दुनिया मे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति हूं।

जैसा कि हमने कल देखा, इसमें कुछ भी नया नहीं है।

लेकिन अब, आइए हम यशायाह की पुस्तक के उस अध्याय के अगले कुछ पदों में आत्म-प्रशंसा के परिणामों की ओर मुड़ें, यह इब्रानी संस्कृति की तस्वीर की भाषा है 

यशायाह 14:13-19 तू मन में कहता तो था कि मैं स्वर्ग पर चढूंगा; मैं अपने सिंहासन को ईश्वर के तारागण से अधिक ऊंचा करूंगा; और उत्तर दिशा की छोर पर सभा के पर्वत पर बिराजूंगा; मैं मेघों से भी ऊंचे ऊंचे स्थानों के ऊपर चढूंगा, मैं परमप्रधान के तुल्य हो जाऊंगा।15 परन्तु तू अधोलोक में उस गड़हे की तह तक उतारा जाएगा। जो तुझे देखेंगे तुझ को ताकते हुए तेरे विषय में सोच सोचकर कहेंगे, क्या यह वही पुरूष है जो पृथ्वी को चैन से रहने न देता था और राज्य राज्य में घबराहट डाल देता था; जो जगत को जंगल बनाता और उसके नगरों को ढा देता था, और अपने बंधुओं को घर जाने नहीं देता था? जाति जाति के सब राजा अपने अपने घर पर महिमा के साथ आराम से पड़े हैं; परन्तु तू निकम्मी शाख की नाईं अपनी कबर में से फेंका गया; तू उन मारे हुओं की लोथों से घिरा है जो तलवार से बिधकर गड़हे में पत्थरों के बीच में लताड़ी हुई लोथ के समान पड़े है।

आत्म-पूजा में मत फसीए क्योंकि इसके भयानक परिणाम होते हैं।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए..।   


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