एक पिता का प्रेम
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रोमियों 5:6-8 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। 8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
प्यार एक आसान शब्द है, लेकिन कई लोगों के लिए – धक्कों, चोट, और कुछ मामलों में गहरे घाव के बीच – इसे प्राप्त करना कठिन ही नहीं परंतु असंभव है।
मुझे नहीं पता कि आपके पास किस तरह के माता-पिता हैं, और विशेष रूप से आपके पास किस तरह के पिता हैं। लेकिन मैं किसी ऐसे व्यक्ति के साथ हाल ही में बात कर रहा था जिसे अस्वीकार कर दिया गया था और एक बच्चे के रूप में उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया था। आश्चर्य नहीं कि वह परमपिता परमेश्वर पर विश्वास करने के लिए अविश्वसनीय रूप से संघर्ष कर रही थी। परमेश्वर के पिता के हृदय को समझने के लिए उसके पास कोई संदर्भ नहीं था।
जब खुद के पिता ने एक बच्चे के रूप में उसके साथ दुर्व्यवहार किया , तो वह कभी परमेश्वर पिता के साथ कैसे आ सकती थी ..?
अफसोस की बात है कि वह अकेली नहीं है। तो क्या मैं आपकी परवरिश,को देखते हुए पूछ सकता हूं कि आप अपने पिता के प्यार को कैसे समझ सकते हैं?
कुछ हज़ार साल पहले, प्रेरित पौलुस ने इसे इस तरह लिखा था:
रोमियों 5:6-8 क्योंकि जब हम निर्बल ही थे, तो मसीह ठीक समय पर भक्तिहीनों के लिये मरा। किसी धर्मी जन के लिये कोई मरे, यह तो र्दुलभ है, परन्तु क्या जाने किसी भले मनुष्य के लिये कोई मरने का भी हियाव करे। 8 परन्तु परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रगट करता है, कि जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिये मरा।
हम नकली समाचारों की दुनिया में रहते हैं। बात करना सस्ता है और कई मायनों में, पूरी तरह से व्यर्थ है। सौभाग्य से, हमारे काम जोर से बोलते हैं – और इस मामले में – मात्र शब्दों की तुलना में बहुत अधिक जोरावर ।
क्रूस पर यीशु ने शब्दों में नहीं परंतु अपने बलिदान के द्वारा कहा , “मैं तुमसे प्यार करता हूँ।” और यही परमेश्वर का पिता हृदय है!
और यह उसका ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।