किसको प्रार्थमिकता
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मत्ती 19:21,22 यीशु ने उस से कहा, यदि तू सिद्ध होना चाहता है; तो जा, अपना माल बेचकर कंगालों को दे; और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा; और आकर मेरे पीछे हो ले। परन्तु वह जवान यह बात सुन उदास होकर चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था॥
हम अपने आप से कभी-कभी बचपना करते हैं कि हम सब कुछ प्राप्त कर सकते है। हम एक ओर तो यीशु का अनुसरण कर सकते हैं, और दूसरी ओर हम उन चीजों को अपने पास रख सकते हैं, जो हमने अपने दिलों में परमेश्वर को दे दी हैं। जैसा मैंने कहा, हम बच्चे कि तरह व्यवहार करते है !
एक वह चीज़ जो बहुत से लोगों को अपना जीवन यीशु को देने से रोकती है, वह इस बात का डर है कि उन्हें क्या छोड़ना होगा।
जैसे कि एक धनी युवा शासक जिसने यीशु से पूछा कि उसे अनन्त जीवन प्राप्त करने के लिए क्या करने की आवश्यकता है। उसने सभी दस आज्ञाये मानी हैं लेकिन फिर भी उसके दिल में यह बात थी कि सब कुछ सही नहीं था।
यीशु ने उसकी ओर देखा और तुरंत जान गया कि इस आदमी के जीवन में क्या था। उसका धन उसके और परमेश्वर के बीच आ गया था ।
मत्ती 19:21,22 यीशु ने उस से कहा, यदि तू सिद्ध होना चाहता है; तो जा, अपना माल बेचकर कंगालों को दे; और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा; और आकर मेरे पीछे हो ले। परन्तु वह जवान यह बात सुन उदास होकर चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था॥
क्या परमेश्वर हम सभी से सब कुछ बेचकर गरीबों को देने की मांग कर रहा है? नहीं, पर इस आदमी के मामले में वह जानता था कि यह एक बात थी जो उसके दिल में थी, इसका परमेश्वर से ज्यादा महत्व था।
जो कुछ भी हम परमेश्वर से पहले रखते हैं वह एक मूर्ति है और यह मूर्ति पूजा है।
क्या आप खुद को मसीही कहना चाहते हैं? क्या आप यीशु का अनुसरण करना चाहते हैं? अगर जवाब हाँ है, तो परमेश्वर का स्थान पहले आता है। अब, आपके इस चुनाव से जो आशिशें मिलेंगी उनको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता । लेकिनपरमेश्वर पहले आता है।
या तो यीशु हमारे दिल में पहले स्थान पर आता है, या वह नहीं आता ।
तो आपके जीवन में वह क्या चीज है जो पहले आती है जरा सोचिए ?”
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।