जवानों को सिखाना
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नीतिवचन 23:15,16 हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो मेरा ही मन आनन्दित होगा। 16और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा।
गुरु की तरह मार्ग दर्शन करना आज के समय में एक खोई हुई कला है। लगता है कि वृद्ध, समझदार पुरुषों और महिलाओं द्वारा जवानों को आकार देने और सही राह पर चलने में मदद देने का विचार आज के उन्माद भरे जीवन के बीच खो गया है।
और यह एक उन्माद है, है ना? मैं जिस दुनिया में पला-बढ़ा हूं, वह उस दुनिया से बहुत अलग थी जिसमें हम आज रहते हैं। हमारे पास कार नहीं थी। हमारे घर में फोन नहीं या फ्रिज नहीं था। महिलाएं ज्यादातर घर में काम करती थीं। लोगों के पास पैसा नहीं था, लेकिन भी लोग खुश थे। जीवन बहुत साधारण और आसान था।
अब मैं यह सुझाव नहीं दे रहा हूं कि हम घड़ी की सुईयों को पीछे कर दें , या फिर उस जमाने में फिर से लौटने की कोशिश करें। लेकिन उस समय हमारे समाज में बड़ों यानि – माता-पिता, दादा-दादी, चाची, चाचा – का हम बच्चों पर बहुत अधिक प्रभाव था।
आज, किशोर और युवा सोशल मीडिया पर अपने चुने हुए “प्रभावित करने वालों” से बहुत अधिक प्रभावित होते हैं, बजाय इसके कि वे अपने निकटतम बुद्धिमान बुजुर्गों द्वारा प्रभावित हों। और यह अच्छी बात नहीं है।
राजा सुलैमान की बात सुनें, जो अब तक के सबसे बुद्धिमान व्यक्तियों में से एक है, वह अपने पुत्रों से क्या कहता है।
नीतिवचन 23:15,16 हे मेरे पुत्र, यदि तू बुद्धिमान हो, तो मेरा ही मन आनन्दित होगा। 16और जब तू सीधी बातें बोले, तब मेरा मन प्रसन्न होगा।
और हाँ, यह देखकर अच्छा लगता है जब हमारे जवान बुद्धिमानी से निर्णय लेते हैं। यदि आप एक बुजुर्ग हैं, तो समय निकालें, अपने जीवन में कुछ युवा लोगों का मार्गदर्शन करने का तरीका खोजें। और यदि आप एक युवा व्यक्ति हैं, तो बुद्धिमान बुजुर्गों की तलाश करें, उनकी बात सुनें, उनसे सीखें ताकि आप अंत में बुद्धिमान निर्णय ले सकें।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए..।