दिमाग ठीक करना
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यिर्मयाह 17:9,10 मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है? मैं यहोवा मन की खोजता और हृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्थात उसके कामों का फल दूं।
क्या आपने कभी कोई गंभीर गलती की है और बाद में, जब आपकी भावनाएं शांत हो गई और दिन के ठंडे प्रकाश में, आपने सोचा: मैंने ऐसा क्यों किया?
हम अक्सर अपनी हरकतों को समझने के लिए संघर्ष करते हैं? “मैं क्या सोच रहा था?” वाली बात, हम में से प्रत्येक के साथ वर्षों से हुई है और अक्सर उन गलतियों के भयानक परिणाम होते हैं।
आप दोबारा वह नहीं करना चाहते हैं, क्यों है ना? मैं भी नहीं ! लेकिन हम फिर से वही काम न करें – इसके लिए हम अपने दिमाग को कैसे ठीक करें, अपनी भावनाओं को नियंत्रण में कैसे रखें, ताकि हम फिर से वही गलतियाँ न करें?
यिर्मयाह 17:9 मन तो सब वस्तुओं से अधिक धोखा देने वाला होता है, उस में असाध्य रोग लगा है; उसका भेद कौन समझ सकता है
यहाँ परमेश्वर जो वर्णन कर रहा है वह धोखा देने वाला मन है। कभी-कभी हमारे विचार-बिल्कुल बीमार होते है, और हम समझ नहीं पाते हैं कि हम वहां कैसे या क्यों पहुंचे।
यिर्मयाह 17:10 ?मैं यहोवा मन को खोजता और हृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्थात उसके कामों का फल दूं।
अब यह दोधारी तलवार है। हाँ, परमेश्वर हमारे दिलों और दिमागों में बुराई को देख सकता है और हमारी सहायता कर सकता है। लेकिन वह परमेश्वर ही है जो हमें शब्दों से परे प्यार करता है। और जब हमारे दिमाग खराब जाते हैं, जब हम अपने विचारों को नहीं समझते , तो परमेश्वर सब कुछ देखता है। परमेश्वर यह सब जानता है। जब हम नहीं जानते, वह जानता है। जब हम नहीं समझते, वह समझता है।
हम उन भूलों से कैसे बचें? उनके ज्ञान, उसकी समझ, उसकी बुद्धि, उसके प्रेम को अपने दिलों और दिमागों में प्राप्त करके।
मैं यहोवा मन को खोजता और हृदय को जांचता हूँ ताकि प्रत्येक जन को उसकी चाल-चलन के अनुसार अर्थात उसके कामों का फल दूं।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज .आपके लिए…