दिल कि नजदीकी
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यूहन्ना 17:20,21 मैं केवल इन्हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों। 21 जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ही ने मुझे भेजा
क्या आपको कभी ऐसा महसूस हो कि आप ईश्वर से इतनी दूर चले गए हैं, कि वह आपसे लाख मील दूर लगता है? और जब हम उस जगह पर होते हैं, तो हम सोच में पड़ जाते हैं कि क्या वह कभी हमें वापस आने देगा ।
मैं अक्सर घर से दूर अपनी सेवा के लिए विदेश यात्रा करता हूं, आश्चर्य की बात नहीं कि मुझे हमेशा अपने घर की याद आती है।
लेकिन यहाँ मैंने देखा है। जब परमेश्वर की बात आती है, तो यह पूरी तरह से विपरीत है। मैं अपने जीवन में कई बार इतना व्यस्त था, कि हर दिन उसके साथ बिताने के लिए समय निकालना मुश्किल था।
आप जानते हैं कि यह कैसे होता है। आप जितना कम प्रार्थना करते हैं, उतनी ही प्रार्थना कि इच्छा कम हो जाती ते हैं। इससे पहले कि आप जाने ऐसा प्रतीत होpते हैं जैसे आप परमेश्वर से एक लाख मील दूर हैं। परमेश्वर आपसे दूर नहीं होता है लेकिन ऐसा लगता है।
तो हम इससे कैसे निपटेंगे? खैर, यीशु सदा हमारे नजदीक रहना चाहता है।
उसे सूली पर चढ़ाये जाने से ठीक पहले, उसने इस तरह प्रार्थना की:
यूहन्ना 17:20,21 मैं केवल इन्हीं के लिये बिनती नहीं करता, परन्तु उन के लिये भी जो इन के वचन के द्वारा मुझ पर विश्वास करेंगे, कि वे सब एक हों। जैसा तू हे पिता मुझ में हैं, और मैं तुझ में हूं, वैसे ही वे भी हम में हों, इसलिये कि जगत प्रतीति करे, कि तू ही ने मुझे भेजा
यीशु, आपके और मेरे साथ एकता की प्रार्थना कर रहा था। जब हम उससे दूर हो जाते हैं, तो हम कल्पना करते हैं कि वह हमें कभी वापस नहीं चाहेगा। लेकिन सच्चाई कुछ और ही है । यीशु आपके करीब आने के लिए तरस रहा हैं। इसीलिए वह क्रूस पर गया।
इसलिए प्रत्येक दिन उसके साथ समय बनाएं। क्योंकि जब आप उसके करीब आते हैं, तो वह आपके और करीब आता है।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज आपके लिए।