दुख का दृष्टिकोण
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सभोपदेशक 7:3,4 हँसी से खेद उत्तम है, क्योंकि मुँह पर के शोक से मन सुधरता है। बुद्धिमानों का मन शोक करनेवालों के घर की ओर लगा रहता है परन्तु मूर्खों का मन आनन्द करनेवालों के घर लगा रहता है।
हममें से कोई नहीं चाहता कि हमारे साथ बुरा हो, और फिर भी ऐसा होता है। हममें से कोई नहीं चाहता कि हमारे दिल दुख से भर जाए, लेकिन फिर भी समय-समय पर ऐसा होता है। दुख मानव जीवन का एक अनिवार्य और अटूट हिस्सा है।
आप कहेंगे की भाई आपने तो दिल खुश कर दिया। इस अच्छी खबर को बांटने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद!। जी हाँ। सच तो यह है कि जब हम दुख तकलीफ में होते हैं, तो यह लगभग असंभव है कि किसी भी तरह की पीड़ा में कोई भलाई देखी जाए, भले ही यह हमारे जीवन पर कितना ही सकारात्मक प्रभाव क्यों ना डाले।
सभोपदेशक 7:3,4 हँसी से खेद उत्तम है, क्योंकि मुँह पर के शोक से मन सुधरता है। बुद्धिमानों का मन शोक करनेवालों के घर की ओर लगा रहता है परन्तु मूर्खों का मन आनन्द करनेवालों के घर लगा रहता है।
कितनी अजीब बात है कि परमेश्वर कह रहे हैं कि हँसी से खेद उत्तम है; कि बुद्धिमानों का मन शोक करने वालों के घर की ओर लगा रहता है । लेकिन परमेश्वर के अपने कारण हैं।
दुःख हँसी से भी बेहतर क्यों है? क्योंकि जब हमारा चेहरा उदास होता है तो हमारा दिल अच्छा हो जाता है। दूसरे शब्दों में, दुःख अवसर का समय है। जब आपके पास परमेश्वर से लिपटे रहने के अलावा कोई चारा नहीं होता है, तो आप प्रत्यक्ष रूप से उसके प्रेम और उसकी विश्वासयोग्यता को देख पाते हैं। ये अनुभव आपको बदल देता है। यह आपको उस पर और भी अधिक निर्भर बनाता है।
दुख हमारे लिए उसके करीब आने का अवसर है जो हमें पूरी तरह से बदल देगा।
और एक बुद्धिमान व्यक्ति मृत्यु के बारे में क्यों सोचता है? क्योंकि जीवन केवल अच्छा समय बिताने के बारे में नहीं है। आपको और मुझे यहां एक उद्देश्य के लिए परमेश्वर द्वारा रखा गया है। ताकि अपनी प्रतिभा, समय और संसाधनों के माध्यम से उसकी महिमा करें। और मित्रों समय कम है। समय बहुत कम है।
तो चलिए दुख को सही दृष्टिकोण से देखें। जब परमेश्वर हमारे रास्ते में दुख लाता है, तो वह हमें एक ऐसा अवसर देता है ताकि हम उसके निकट आ सकें।
यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।