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बिना रुके प्रार्थना करना

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कुलुस्सियों 1:3,4,9-11 हम तुम्हारे लिये नित्य प्रार्थना करके अपने प्रभु यीशु मसीह के पिता अर्थात् परमेश्‍वर का धन्यवाद करते हैं, 4क्योंकि हम ने सुना है कि मसीह यीशु पर तुम्हारा विश्‍वास है, और सब पवित्र लोगों से तुम प्रेम रखते हो; इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना और विनती करना नहीं छोड़ते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्‍वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ, 10ताकि तुम्हारा चाल–चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और तुम परमेश्‍वर की पहिचान में बढ़ते जाओ, 11उसकी महिमा की शक्‍ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ्य से बलवन्त होते जाओ, यहाँ तक कि आनन्द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको, 

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बिना रुके प्रार्थना करना


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तो आज का सवाल आपके लिए। अपनी प्रार्थना के समय में, आप कितना समय दूसरों के लिए प्रार्थना करने में व्यतीत करते हैं बजाय अपने लिए प्रार्थना करने में, अपनी आवश्यकताओं के लिए, अपनी आशाओं और सपनों के लिए प्रार्थना करने में ? 

अब, अपने लिए प्रार्थना करने में कुछ भी गलत नहीं है। अक्सर सुबह, मैं परमेश्वर से मुझे आशीष देने के लिए प्रार्थना करता हूँ, क्योंकि मेरे लिए परमेश्वर का आशीर्वाद महत्वपूर्ण है ताकि मैं एक ऐसा जीवन जी सकूँ जो उसका सम्मान करता हो।

फिर भी यह सच है कि कभी-कभी हमारी प्रार्थना का समय, जो हमारे व्यस्त जीवन के बीच मुश्किल से मिलता है, हमारी अपनी आवश्यकताओं पर केंद्रित हो कर रह जाता है। यहाँ प्रेरित पौलुस लोगों से कहते हैं:

कुलुस्सियों 1:3,4,9-11 हम तुम्हारे लिये नित्य प्रार्थना करके अपने प्रभु यीशु मसीह के पिता अर्थात् परमेश्‍वर का धन्यवाद करते हैं, 4क्योंकि हम ने सुना है कि मसीह यीशु पर तुम्हारा विश्‍वास है, और सब पवित्र लोगों से तुम प्रेम रखते हो; इसी लिये जिस दिन से यह सुना है, हम भी तुम्हारे लिये यह प्रार्थना और विनती करना नहीं छोड़ते कि तुम सारे आत्मिक ज्ञान और समझ सहित परमेश्‍वर की इच्छा की पहिचान में परिपूर्ण हो जाओ, 10ताकि तुम्हारा चाल–चलन प्रभु के योग्य हो, और वह सब प्रकार से प्रसन्न हो, और तुम में हर प्रकार के भले कामों का फल लगे, और तुम परमेश्‍वर की पहिचान में बढ़ते जाओ, 11उसकी महिमा की शक्‍ति के अनुसार सब प्रकार की सामर्थ्य से बलवन्त होते जाओ, यहाँ तक कि आनन्द के साथ हर प्रकार से धीरज और सहनशीलता दिखा सको, 

कितनी शक्तिशाली प्रार्थना है। कितना सशक्त प्रोत्साहन है। दूसरों के लिए प्रार्थना करना न भूलें, ताकि उनके जीवन में भी परमेश्वर की शक्ति उजागर हो सके।

यह परमेश्वर का ताज़ा वचन है। आज …आपके लिए…।


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